SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 598
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विषयवासना से पीड़ित जन कमलपुष्प लाये। पार्श्वचरण पर अर्पित करके आत्मसौख्य पाये॥ संकटहर श्री पार्श्वप्रभुजी जैनगिरीवासी । अद्भुत महिमा जगकल्याणी अष्टकर्मनासी ॥ 4॥ ऊँ ह्रीं श्री 1008 संकटहरपार्श्वनाथजिनेन्द्राय कामबाण - विनाशनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा। भूख-प्यास की बाधा जग में सब जीवों को है। इसे मिटाने तव चरणों मे नेवज अर्पण है ।। संकटहर श्री पार्श्वप्रभुजी जैनगिरीवासी । अद्भुत महिमा जगकल्याणी अष्टकर्मनासी ॥ 5॥ ऊँ ह्रीं श्री 1008 संकटहरपार्श्वनाथजिनेन्द्राय क्षुधारोग-विनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा। सकलजगत में मोहमहातम मिथ्यातम छाया । घृत दीपक से पूजा करके, ज्ञान-रतन पाया। संकटहर श्री पार्श्वप्रभुजी जैनगिरीवासी । अद्भुत महिमा जगकल्याणी अष्टकर्मनासी॥ 6॥ ऊँ ह्रीं श्री 1008 संकटहरपार्श्वनाथजिनेन्द्राय मोहान्धकार-विनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा। धूप अग्नि में खेकर प्रभुजी अष्टकर्म नश जाय। कर्म जो दुःख देते उनके क्षय का सुगम उपाय ।। संकटहर श्री पार्श्वप्रभुजी जैनगिरीवासी । अद्भुत महिमा जगकल्याणी अष्टकर्मनासी ॥ 7॥ ऊँ ह्रीं श्री 1008 संकटहरपार्श्वनाथजिनेन्द्राय अष्टकर्म - दहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा। फल पाने मैं फल लेकर के पार्श्वचरण आया। मोक्षमहाफल पाकर मैंने मनवांछित पाया ।। संकटहर श्री पार्श्वप्रभुजी जैनगिरीवासी । अद्भुत महिमा जगकल्याणी अष्टकर्मनासी॥ 8॥ ॐ ह्रीं श्री 1008 संकटहरपार्श्वनाथजिनेन्द्राय मोक्षफल प्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा। 598
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy