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________________ नवमों जिनकी धुनि सीस धरे, दशमों जिनभाषित हेत करे। इमि धर्म तणों दश भेद भन्यो, पुनि शुक्लतणो चदु येम गन्यो।14। सुपृथक्त-वितर्क-विचार सही, सुइकत्व-वितर्क-विचार गही। पुनि सूक्ष्मक्रिया-प्रतिपात कही, विपरीत-क्रिया-निरवृत्त लही।15। इन आदिक सर्व प्रकाश कियो, भवि-जीवन को शिव-स्वर्ग दियो। पुनि मोक्षविहार कियो जिनजी, सुखसागर मग्न चिरं गुनजी।16। अब मैं शरना पकरी तुमरी, यसुधि लेहु दयानिधि जी हमरी। भव-व्याधि निवार करो अब ही, मति ढील करो सुख द्यो सब ही।17। (छन्द घत्तानन्द) शीतल जिन ध्याऊँ भगति बढ़ाऊँ, ज्यों रतनत्रयनिधि पाऊँ। भवदंद नशाऊँ शिवथल जाऊँ, फेर न भव-वन में आऊँ।।18।। ऊँ ह्रीं श्रीशीतलनाथजिनेन्द्राय महायँ निर्वपामीति स्वाहा। छन्द मालिनी दिढरथसुत श्रीमान् पंचकल्याणकधारी, तिनपद-जुगपद्मं, जो जजै भक्तिधारी। सहजसुख धनधान्य, दीर्घ सौभाग्य पावे, अनुक्रम अरि दाहै, मोक्ष को सो सिधावै।। ॥ इत्याशीर्वादः पुष्पांजलि क्षिपामि । 59
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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