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________________ (श्रीपार्श्वनाथ जिन-पूजा (महुवा, सूरत) (रचयिता - भट्टारक विद्याभूषण) दोहा) ___ महुवा नगर विराजते, पार्श्वनाथ जिनराय। विघ्नहरण मंगल-करण, भव-भव होउ सहाय।। ॐ ह्रीं श्रीमहुवानगर-विराजित-विघ्नहर-पार्श्वनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट्। (इति आह्वाननम्) ऊँ ह्रीं श्रीमहुवानगर-विराजित-विघ्नहर-पार्श्वनाथजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः। (स्थापनम्) ऊँ ह्रीं श्रीमहुवानगर-विराजित-विघ्नहर-पार्श्वनाथजनेन्द्र! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्। (सन्निधिकरणम्) गंगा भरि झारी, सुंदर भारी, मीनाकारी सरस भरी। तामें गंगाजल, भरि अति निर्मल, पूरित मनसे हाथ भरी।। पूजो प्रभु पारस, देत महारस, विघ्नहरण जिन यश गाया। कमठा मद-मारण, नाग-उधारण, संयम-धारण तज माया।।1।। ऊँ ह्रीं श्रीमहुवानगर-विराजित-विघ्नहर-पार्श्वनाथजिनेन्द्राय जन्मजरामृत्यु-विनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा। केशर ले चंदन चरचत अंगन विघ्नहरण तन सुखदाता। श्रीजिनपद-वंदन, दाह-निकंदन, तपत-हरन शीतल जाता।। पूजो प्रभु पारस, देत महारस, विघ्नहरण जिन यश गाया। कमठा मद-मारण, नाग-उधारण, संयम-धारण तज माया।। 2।। ॐ ह्रीं श्रीमहुवानगर-विराजित-विघ्नहर-पार्श्वनाथजिनेन्द्राय संसारताप-विनाशनाय चंदनं निर्वपामीति स्वाहा। 574
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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