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________________ नहीं किया शादी का विचार, भाभी ने की व्यंग्य बौछार।6। रथ पर बैठे दूल्हा नेमी, धन्य-धन्य कहते थे प्रेमी। कृष्ण करें राज्यों की चिन्ता, हाथ में आये कैसे जनता।7। पशुओं को बांधा बंधन में, देखा उस करुणानंदन ने। बही हृदय में दया की धारा, त्याग दिया धन-वैभव सारा।8। मोही-जनों से नाता तोड़ा, सारे जग से मुख को मोड़ा। त्यागी तुमने विश्वसुंदरी, रास आ गई मुक्ति-सुंदरी।9। चारों तरफ था एक ही शोर, कहाँ गया मेरा नेमी किशोर। नेमी बन्ना वन को गये हैं, गिरनारी पर मुनि भये हैं।10। जा पहुँचे पर्वत गिरनारी, पंच महाव्रत दीक्षा धारी। दुल्हन ने श्रृंगार को त्यागा, उसका आत्मज्ञान भी जागा।11। आर्यिका व्रत को धारण कीना, चरण-चिन्ह नेमी की लीना। निज आतम में ध्यान लगाया, शांत भाव धर ज्ञान जगाया।12। कर्म घातिया घात के स्वामी, केवलज्ञान हुये प्रणमामि। समोवशरण की छटा निराली, चारों तरफ धर्म की लाली।13। बैर-भाव सब भूल के प्राणी, शांत भाव से सुनते वाणी। जो करता नेमी की जाप, राहु गह का चढ़े न ताप।14। संबु प्रद्युम्न अनिरुद्ध भाई, सकल यति शुभ दीक्षा पाई। सुर, नर, पशु सब ही गुण गावें, नाचत गावत ताल बजावें।15। गिरनारी पर ध्यान लगाया, अष्ट कर्म को आप नशाया। सिद्ध-क्षेत्र जा दर्शन करते, कर्म नाश कर मुक्ति वरते।16। करुणासागर करुणा कीजे, ज्ञान शुद्ध हो यह वर दीजे। आत्मज्ञान शुभ ध्यान को दीजे, स्वस्ति को निज शरणा लीजै।17। ऊँ ह्रीं श्रीनेमिनाथजिनेन्द्राय जयमाला-पूर्णाध्यं निर्वपामीति स्वाहा। ॥इत्याशीर्वादः पुष्पांजलि क्षिपामि ॥ 551
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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