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________________ कर्मों का हनन करूँ, धूप चढ़ा करके। तुमसा हो जाऊँ नाथ, पाप नसा करके।। श्री नेमिनाथ भगवान, दिव्य दिवाकर हो। हो दुष्ट कर्म चकचूर आप प्रभाकर हो।। 7।। ऊँ ह्रीं श्रीनेमिनाथजिनेन्द्राय अष्टकर्म-दहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा।7। बहुफल है जग में नाथ, मुझको ना भाया। मुक्ति फल पाने हेतु, फल मैं ले आया।। श्री नेमिनाथ भगवान, दिव्य दिवाकर हो। हो दुष्ट कर्म चकचूर आप प्रभाकर हो।। 8।। ऊँ ह्रीं श्रीनेमिनाथजिनेन्द्राय मोक्षफल-प्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा।8। जल फल आठों वसुद्रव्य, पूजन को लाया। मैं हरष-हरष गुण गाऊँ, मम हिय हर्षाया।। श्री नेमिनाथ भगवान, दिव्य दिवाकर हो। हो दुष्ट कर्म चकचूर आप प्रभाकर हो।। 9।। ऊँ ह्रीं श्रीनेमिनाथजिनेन्द्राय अनध्यपद-प्राप्तये अध्यं निर्वपामीति स्वाहा। पंचकल्याणक भू लोक हुआ था हर्षित, शुभ ज्ञान हुआ था विकसित। ___ जब गर्भ में प्रभु जी आये, इन्द्रों ने रत्न गिराये।। ऊँ ह्रीं कार्तिकशुक्ला-षष्ट्यां गर्भकल्याणक-प्राप्ताय श्रीनेमिनाथजिनेन्द्राय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।।। हुई पूर्व दिशा उजियाली, आई दिव्य-दिवाकर-लाली। ___ जन्मे नेमि जिन राजा, फिर इन्द्र बजावें बाजा।। ऊँ ह्रीं श्रावणशुक्ला-षष्टयां जन्मकल्याणक-प्राप्ताय श्रीनेमिनाथजिनेन्द्राय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।2। 549
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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