SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 541
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (जयमाला) प्रभु चरण तुम्हारे आकर के, भक्ति के सुमन चढ़ाता हूँ। विस्तृत है तेरी यशगाथा, उसका मैं पार न पाता हूँ।। जो शरण तुम्हारे आता है, भवदधि से पार चला जाता। वह जनम-मरण के दुःखों से, क्षणभर में छुटकारा पाता।। वैशाख वदी दशमी के दिन, प्रभु राजगृही में जन्म लिया। इन्द्रों ने जन्मकल्याणक का, उत्सव कर अतिशय पुण्य लिया।। हुये चार कल्याणक राजगृही, सम्मेदशिखर से मोक्ष गये। वसुकर्म नाशकर सिद्धभये, अविनाशी अनंत-सुख प्राप्त किये।। इतिहास पुरातन बतलाता, यह भूमि पवित्र मनोहर है। भारत की संस्कृति का अनुपम, मानो यह क्षेत्र धरोहर है।। खरदूषण राजा एकसमय, दंडकवन में जब आया था। वन की सुंदरता लख मन में, उसका चित अति हुलसाया था।। हो हर्षित तभी यहाँ उसने बालू की मूर्ति बनवाई थी। सुंदर मंदिर बनवा करके, यह मूर्ति उस में पधराई थी।। प्रतिष्ठान में बिम्बप्रतिष्ठा कर, अपना नरभव सफल किया। सबने मिल प्रभु की पूजा की, अरु महापुण्य का लाभ लिया।। आचार्य माघनंदी स्वामी, कर भ्रमण यहाँ पधारे थे। उनके सुपुत्र शालीवाहन, शक-कर्ता नृप कहलाये थे।। पैठण नगरी सुप्रसिद्ध यहाँ जिनमंदिर निर्मित है भारी। मुनिसुव्रत प्रभु की श्यामवर्ण, प्रतिमा है जिसमें सुखकारी है।। यह चतुर्थकाल की प्रतिमा है, जिसका है अतिशय अतिभारी। भक्तों के संकट मिटजाते, वांछित फल पाते नरनारी।। चिमना पंडित ने अमावस को, पूनम का चाँद दिखाया था। प्रभु की भक्ति से प्रेरित हो, सबने मिल हर्ष मनाया था।। बिन धूप सुंगधित धुआँ यहाँ, मंदिर जी में से आता है। 541
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy