SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 524
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सुर पुनीत अथवा अवनी के, कुसुम मनोहर लिए मँगाय। भेंट धरी तुम चरणन के ढिग, ततक्षिन कामबाण नस जाय || शांतिनाथ पंचम - चक्रेश्वर द्वादश-मदन-तनो पद पाय। तिन के चरण-कमल के पूजे रोग-शोक दुःख-दारिद जाय ।। ऊँ ह्रीं श्रीशान्तिनाथजिनेन्द्राय कामबाण - विध्वंसनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा ।4। भांति-भांति के सद्य मनोहर कीने मैं पकवान संवार । भर थारी तुम सन्मुख लायो क्षुधा - वेदनी वेग निवार।। शांतिनाथ पंचम - चक्रेश्वर द्वादश-मदन-तनो पद पाय। तिन के चरण-कमल के पूजे रोग-शोक दुःख-दारिद जाय।। ॐ ह्रीं श्रीशान्तिनाथजिनेन्द्राय क्षुधारोग-विनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा। 5। घृत सनेह करपूर ला कर दीपक ताके धरे प्रजा । जगमग जोत होत मंदिर में मोह - अंध को देत सुटार || शांतिनाथ पंचम-चक्रेश्वर द्वादश-मदन-तनो पद पाय । तिन के चरण-कमल के पूजे रोग-शोक दुःख-दारिद जाय।। ॐ ह्रीं श्रीशान्तिनाथजिनेन्द्राय मोहान्धकार- विनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा। 61 देवदारु कृष्णागरु चन्दन जगर कपूर सुगन्ध अपार। खेऊं अष्ट करम जारन को, धूप धनंजय माहिं सुडार।। शांतिनाथ पंचम-चक्रेश्वर द्वादश-मदन-तनो पद पाय । तिन के चरण-कमल के पूजे रोग-शोक दुःख दारिद जाय।। ॐ ह्रीं श्रीशान्तिनाथ जिनेन्द्राय अष्टकर्म - दहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा। 7। 524
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy