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________________ जल फल सकल मिलाय, मनोहर, मन-वचन-तन हुलसाय। तुमपद पूजों प्रीति लायकै, जय-जयत्रिभुवनराय।। मेरी अरज सुनीजे, पुष्पदन्त जिनराय।। ॐ ह्रीं श्रीपुष्पदन्तजिनेन्द्राय अनर्घ्यपद-प्राप्तये अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।9। पंचकल्याणक नवमी तिथिकारी फागुन धारी, गरभमाहिं थिति देवा जी। तजि आरणथानं कृपानिधानं, करत शची तित सेवा जी।। रतनन की धारा परम उदारा परी व्योमतें सारा जी। मैं पूजौं ध्यावौं भगति बढ़ावौं, करो मोहि भव पारा जी।। ऊँ ह्रीं फाल्गुनकृष्णा-नवम्यां गर्भमंगल-प्राप्ताय श्रीपुष्पदन्तजिनेन्द्राय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।।। मंगसिर सितपच्छं परिवा स्वच्छं, जनमे तीरथनाथा जी। तब ही चव-भेवा निरजर येवा, आय नये निज माथा जी।। सुरगिर नहवाये, मंगल गाये, पूजे प्रीति लगाई जी। मैं पूजों ध्यावौं भगति बढ़ावौं, निजनिधि हेतु सहाई जी।। ॐ हीं मार्गशीर्षशुक्ला-प्रतिपदायां जन्मकमंगल-प्राप्ताय श्रीपुष्पदन्तजिनेन्द्राय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।2। सित मंगसिर मासा तिथि सुखरासा, एकदम के दिन धारा जी। तप आतमज्ञानी आकुलहानी, मौन सहित अविकारा जी।। सुरमित्र सुदानीके घर आनी, गो-पय पारन कीना जी। तिनको मैं वन्दौं पापनिकंदौं, जो समतारस-भीना जी।। ऊँ ह्रीं माघशीर्षशुक्ला-प्रतिपदायां तपोमंगल-प्राप्ताय श्रीपुष्पदन्तजिनेन्द्राय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।। 52
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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