SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 509
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ निर्वाण महाफल हेतु चरणों में आया। दुःखरूप राग को जान अब निज-गुण गाया।। हे शीतलनाथ जिनेश शीतलता-धारी। हे शील-सिन्धु शीलेश सब संकट-हारी।। ऊँ ह्रीं श्रीशीतलनाथजिनेन्द्राय मोक्षफल-प्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा।8। आत्मानुभूति की प्रीति निज में है जागी। पाऊँ अनर्घ-पद नाथ मिथ्या-मति भागी।। हे शीतलनाथ जिनेश शीतलता-धारी। हे शील-सिन्धु शीलेश सब संकट-हारी।। ॐ ह्रीं श्रीशीतलनाथजिनेन्द्राय अनर्घ्यपद-प्राप्तये अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा। पंचकल्याणक चैत्र कृष्ण अष्टमी स्वर्ग अच्युत को तज कर तुम आये। दिक्कुमारियों ने हर्षित हो मात सुनन्दा गुण गाये।। इन्द्र आज्ञा से कुबेर नगरी-रचना कर हर्षाये। शीतल-जिन के गर्भोत्सव पर रत्न सुरों ने बरसाये।। ॐ ह्रीं श्रीशीतलनाथजिनेन्द्राय चैत्रकृष्णा-अष्टमीदिने गर्भकल्याणक-प्राप्ताय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।।। भद्दिलपुर में राजा दृढ़रथ के गृह तुमने जन्म लिया। माघ कृष्णा द्वादशी इन्द्र-सुरों ने निज-जीवन धन्य किया।। गिरि सुमेरु पर पाण्डुक वन में क्षीरोदधि से न्हवन किया। एक-सहस्र-अष्ट कलशों से हर्षित हो अभिषेक किया।। ॐ ह्रीं श्रीशीतलनाथजिनेन्द्राय माघकृष्णा-द्वादशीदिने जन्ममंगल-मंडिताय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।2। 509
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy