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________________ श्री सुमतिनाथ जिन-पूजा (रैवासा) सुमतिनाथ है सुमति प्रदाता, दयावान है तीर्थंकर। घाति अघाति कर्म हने हैं सिद्ध विराजित हे शंकर।। रैवासा में प्रकट भई है, तेरी प्रतिमा मनहारी। पाप विनाशी संकट हरती, दर्शन की है बलिहारी।। ठोकर खाते भटके आते, तेरे दर के ही खातिर। दया दृष्टि कर पाप मिटा दो, तेरे चरणों में हाजिर।। वीतराग मुद्रा तेरी है, जग को मोहित कर लेती। मोक्ष मार्ग का दिग्दर्शन कर भक्त की झोली भर देती।। ऊँ ह्रीं श्रीभव्योदय-अतिशयक्षेत्र-स्थित भूगर्भप्राप्त-अतिशयकारी रैवासावाले बाबा श्री 1008 गुणसंयुक्त श्रीसुमतिनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट्। (इति आह्वाननम्) ॐ ह्रीं श्रीभव्योदय-अतिशयक्षेत्र-स्थित भूगर्भप्राप्त-अतिशयकारी रैवासावाले बाबा श्री 1008 गुणसंयुक्त श्रीसुमतिनाथजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः। (स्थापनम्) ऊँ ह्रीं श्रीभव्योदय-अतिशयक्षेत्र-स्थित भूगर्भप्राप्त-अतिशयकारी रैवासावाले बाबा श्री 1008 गुणसंयुक्त श्रीसुमतिनाथजिनेन्द्र! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्। (सन्निधिकरणम्) विमल मलों से दूषित हूँ मैं, शुद्ध स्वभाव नशाया है। धारा जल की प्रभू चढ़ाकर, भव कलंक मिटाया है।। क्षेत्र अतिशय भव्योदय है, अतिशयकारी महिमा है। सुमतिनाथ का अद्भुत अतिशय भू से निकली प्रतिमा है।। ऊँ ह्रीं श्रीभव्योदय-अतिशयक्षेत्र-स्थित भूगर्भप्राप्त-अतिशयकारी रैवासावाले बाबा श्री 1008 गुणसंयुक्त श्रीसुमतिनाथजिनेन्द्राय जन्मजरामृत्यु-विनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा। 4701
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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