SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 437
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हो गये तिरोहित पाप-मेघ, आलोकित जय-जयकार हुआ। शुभचैत्र कृष्ण नवमी के दिन, आदित्य आदि अवतार हुआ ।। अरुणोदय का निर्झर फूटा, रवि की किरणें जगमगा उठीं। मरुदेवी का गृह तीर्थ बना, नभ में दुंदुभि झनझना उठी।। ऊँ ह्रीं चैत्रकृष्णा-नवम्यां जन्ममंगलमंडिताय श्रीआदिनाथजिनेन्द्राय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा। शुभ चैत्र कृष्ण नवमी के दिन, तुमने जिनेन्द्र दीक्षाधारी। पूरे हजार वर्षों तप कर, महकायी तप की फुलवारी।। दुर्द्धर तप के अन्तर्बल से, निर्झर आलोक उमड़ आया। घातिया कर्म हनने का बल, तुमने आत्मा में प्रकटाया।। ऊँ ह्रीं चैत्रकृष्णा-नवम्यां तपोमंगलमंडिताय श्रीआदिनाथजिनेन्द्राय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा। फाल्गुन कृष्णा एकादशि को, प्रभु आप बने केवलज्ञानी। चरणों में तिष्ठे धर्मचक्र, भाषाओं की वीणा वाणी। शुभ समवशरण के प्रांगण में, उठी जिनेश्वर की वाणी । अब मुक्तिरमा ने जिनवर की, अगवानी करने की ठानी।। ॐ ह्रीं फाल्गुनकृष्णा-एकादश्यां ज्ञानसाम्राज्य-प्राप्ताय श्रीआदिनाथजिनेन्द्राय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा। आस्रव की घोर निर्जराकर कर्मों का चक्रव्यूह तोड़ा। जो सिद्ध शिला तक का पथ है उस पर संवर का रथ मोड़ा। चौदहवें गुणस्थान की निधि अन्तमुहूर्त में प्रगटाली। कृष्ण शुभ माघ चतुर्थी को शिव रमणी से भांवर डाली। ऊँ ह्रीं माघकृष्णा-चतुर्थ्यां मोक्षमंगलमंडिताय श्रीआदिनाथजिनेन्द्राय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा। 437
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy