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________________ श्री आदिनाथ जिन-पूजा (अयोध्या) (रचयिता - कल्याण कुमार शशि) स्थापना हे ज्ञान दीप महिमामहीप, सादर समीप प्रभु आता हूँ। हे आदिनाथ कर दो सनाथ, चरणों में माथ नवाता हूँ।। आनन्दधाम नयनाभिराम, निष्काम नाम कहलाते हो। करुणावतार संकट निवार, भवसागर पार लगाते हो।। मैं शरणागत तव स्वागत में, नत होकर नयन बिछाता हूँ। आवाहन करके नाथ तुम्हें, मन-मन्दिर में पधराता हूँ।। ॐ ह्रीं श्रीआदिनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर-अवतर संवौषट्। (इति आह्वाननम्) ॐ ह्रीं श्रीआदिनाथजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः। (स्थापनम्) ॐ ह्रीं श्रीआदिनाथजिनेन्द्र! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्। (सन्निधिकरणम्) अभिलाषाओं का दास बना, मैं फिरता हूँ मारा मारा। आत्मिक तृषा से विमुख हुआ, भटका मिथ्या तृष्णा द्वारा।। सागर का जल-पी-पीकर भी, जीवन प्यासा का प्यासा है। अपवित्र तृषा मन को न छले, मन की पवित्र अभिलाषा है।। ऊँ ह्रीं श्रीआदिनाथजिनेन्द्राय जन्मजरामृत्यु-विनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा।।। मैं भवाताप का शाप बना, मन मनस्ताप का सागर है। अपने रत्नाकर को भूला, भटका अब मन का गागर है।। चन्दन शीतल कर देता है, यह सुनता गुनता आता हूँ। मन की शीतलता पाने को, चन्दन की भेंट चढ़ाता हूँ।। ऊँ ह्रीं श्रीआदिनाथजिनेन्द्राय संसारताप-विनाशनाय चंदनं निर्वपामीति स्वाहा।2। 434
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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