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________________ जयमाला (दोहा) तुंग अंग धनु दोय-सौ, शोभा सागरचन्द । मिथ्या- तपहर सुगुनकर, जय सुपास सुखकंद। 1। छन्द कामिनी मोहन जयति जिनराज शिवराज हितहेत हो, परमवैराग आनन्द भरि देत हो । गर्भ के पूर्व षट्मास धनदेव ने, नगर निरमापि वाराणसी सेवने | 2 | गगनसों रतन की धार बहु वरषहीं, कोडि त्रै अर्द्ध त्रैवार सब हरषहीं। तात सदन गुनवदन रचन रची, मातुकी सर्वविधि करत सेवा शची | 3 | भयो जब जनम तब इन्द्र-आसन चल्यो, होय चकित तुरित अवधितैं लखि भल्यो। सप्त पग जाय शिर नाय वन्दन करी चलन उमग्यो तबै मानि धनि धनि घरी | 4 | सात विधि सैन गज वृषभ रथ बाज ले, गन्धरव नृत्यकारी सबै साज ले। गलित-मद-गण्ड ऐरावती साजियो, लच्छ-जोजन सुतन वदन सत राजियो। 5 । वदन वसु-दन्त प्रति-दन्त सरवन भरे, तासु-मधि शतक पनबीस कमलिनि खरे। कमलिनी मध्य पनवीस फूले कमल, कमलप्रति कमलमँह एकसौ-आठ दल।6। सर्वदल कोड़-शत-वीस परमान जू, तासुपर अपछरा नचहिं जुतमान जू। तततता तततता विततता ताथई, धृगतता धृगतता धृगतता में लई | 7 | धरत पग सनन नन सनन नन गगन में, नूपुरें झनन नन झनन नन पगन में। नचत इत्यादि कई भाँति सों मगन में, केई तित बजत बाजे मधुर पगन में। 8 । ईदृदृम सुदृम दृम मृदंगनि धुनै, केई झल्लरि झनन झंझनन झंझनै केई सारंगि संसाग्रहिं साध सुर, केई बीना पटह बंसि बाजें मधुर 9 केई तनननन तनननन ताने पुरै, शुद्ध उच्चारि सुर केई पाठें फुरै। केई झुक-झुकि फिरे चक्र-सी भामनी, धृगगतां धृगगतां पर्म-शोभा बनीं। 10। केई छिन निकट छिन दूर छिन थूल-लघु धरत वैक्रियक परभावसों तन सुभगु। केई करताल-करताल तल में धुनें, तत वितत घन सुषिर जात बाजें मुनै।11।। इन्द्र आदिक सकल साज संग धारिके, आय पुर तीन फेरी करी प्यार ते। 42
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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