SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 407
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री आदिनाथजिन-पूजन, (बड़ेबाबा) (रचयिता - सुब्रत सागर) (सवैया मात्रिक छन्द-21 मात्रा) हे सुखकारी! अतिशयकारी, पूज्य बड़े बाबा सुखकार। कुण्डलपुर पर्वत पर शोभित, जिन्हें पूजते सुर-नर-नार।। पूजा को हम द्रव्य सँजोकर, करते आह्वानन नत माथ। हृदय कमल के उच्चासन पर, आन विराजो मेरे नाथ।। ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं बड़ेबाबा अहँ नमः हे वृषभजिनेन्द्र! अत्र अवतर-अवतर संवौषट्। (इति आह्वाननम्) ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं बड़ेबाबा अहँ नमः हे वृषभजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः। (स्थापनम्) ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं बड़ेबाबा अहँ नमः हे वृषभजिनेन्द्र! अत्र मम सन्निहितो भव-भव वषट्। (सन्निधिकरणम्) (पुष्पांजलिं क्षिपेत्) (ज्ञानोदय छन्द) (लय-मेरी भावना) बाह्य मैल से देह मलिन है, उसको जल से सब धोते। देह सजाकर सब खुश हैं पर, कर्म-रोग से सब रोते।। जनम जरा मृति राग द्वेष को, धोने को हम सब आये। आज बड़ेबाबा के द्वारे, शुचि जल पूजन को लाये। ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं बड़ेबाबा अहँ नमः जन्मजरामृत्यु-विनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा। क्रोध आग है महा भयंकर, जिसमें जलते संसारी। आतम-वैभव जला उसी में, दुखी भटकते नर नारी।। तन मन आतम शीतल करने, सभी ताप हरने आये। आज बड़े बाबा के द्वारो, चन्दन पूजन को लाये।। ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं बड़ेबाबा अहँ नमः संसारताप-विनाशनाय चन्दनं निर्वपामीति स्वाहा। 407
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy