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________________ पंचकल्याणक कातिक मास सुदी छठिके दिन, श्रीजिन नेमिप्रभु सुखकारी। गर्भ रहे यदुवंश प्रकाशक, भासत भानु समान सम्हारी।। मात शिवा हरषी मन में जनु, आज प्रसूति जनी महतारी। सो दिन आज विचार यहाँ हम, पजत अध्य सँजोय के भारी।। ओं ह्रीं कार्तिकशुक्लषष्ठयां गर्भकल्याणकप्राप्ताय श्री नेमिनाथजिनेन्द्राय अध्यम्। श्रावण की शुक्ला छठि के दिन, जन्मत पातक दूर पलाने। जानि सुरेश गयो विधिपूर्वक, मात घरै जहँ आनन्द ठाने।। जाय शची धरि बालक दूसर, लेय जिनेश्वर होत रवाने। जन्माभिषेक कियो उनने हम, अध्य चढ़ावत आनंद माने।। ओं ह्रीं श्रावणशुक्लषष्ठ्यां जन्मकल्याणकप्राप्ताय श्री नेमिनाथजिनेन्द्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा। साजि चले यदुवंश शिरोमणि, व्याहन काज निशान वजाये। देखि पशू दुखिया बिललात कहो प्रभु ये किहि काज घिराये।। सारथि के मुखतें सुनि बात, उदस भये पशुवान छड़ाये। योग धर्यो छठि श्रावणकी, शुक्ला दिन जानिके अध्य चढ़ाये।। ओं ह्रीं श्रावणशुक्लषष्ठयां तपकल्याणकप्राप्ताय श्री नेमिनाथजिनेन्द्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा। लेकर योग रहे दिन छप्पन, लों छद्मस्थ प्रभू शिवगामी। क्वांर सुदी परिवा के दिना चव, घातिय घाते अन्तर्यामी।। केवलज्ञान लहो भगवान, दिवाकर भान भये जिनस्वामी। सो दिन आप चितारी यहाँ, हम अध्य चढ़ावत हैं जिननामी।। ओं ह्रीं आश्विनशुक्लप्रतिपदायां ज्ञानकल्याणकप्राप्ताय श्री नेमिनाथजिनेन्द्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा। 381
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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