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________________ श्री नमिनाथ जिन-पूजा (रचयिता - कविवर मनरंगलाल) स्थापना- गीता छन्द शुभ वसत मिथिलापुरी जननी, नाम विपुला जानिये। पितु नाम आछो विजयरथ नमिनाथ, तिन सुत मानिये।। इक्ष्वाकुवंशी हेम सा तनु, कञ्ज चिन्ह सुहावने। दस सहस वरष सुआयु पद्रह, चाप उँचे ही बने।। दोहा भो परमेश्वर परम गुरु, परमानन्द निधान। करि करुणा मुझ दीन प, यहां विराजो आन।। ओं ह्रीं श्री नमिनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् (इति आह्वाननम्) _____ओं ह्रीं श्री नमिनाथजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठौ तिष्ठौ ठः ठः। (स्थापनम्) ओं ह्रीं श्री नमिनाथजिनेन्द्र! अत्र मम सन्निहितौ भव भव वषट् (सन्निधिकरणम्) अथाष्टक छन्द मधुर मधुर पयसा, शरद चन्दा सु जैसा, मुनिवर चित जैसा, ल्याव पानीय तैसा। नमि जिनवर केरे, कञ्ज आभा सु हेरे, पद अमल घनेरे, पूजिये भक्ति प्रेरे।। ओं ह्रीं श्री नमिनाथजिनेन्द्राय जन्मजरामृत्युविनाशनाय जलम् निर्वपामीति स्वाहा। घसित ले पटीरं, शुद्ध जासों शरीर। भ्रमत भ्रमत तीरं, जो हरे सदा पीरं।। नमि जिनवर केरे, कञ्ज आभा सु हेरे, पद अमल घनेरे, पूजिये भक्ति प्रेरे।। ओं ह्रीं श्री नमिनाथजिनेन्द्राय भवातापविनाशनाय चन्दनम् निर्वपामीति स्वाहा। चुनि चुनि सित आने, वेश तन्दुल बखाने। परम रुचिर जाने, देखि नैना लुभाने।। नमि जिनवर केरे, कञ्ज आभा सु हेरे, पद अमल घनेरे, पूजिये भक्ति प्रेरे।। ओं ह्रीं श्री नमिनाथजिनेन्द्राय अक्षयपदप्राप्तये अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा। 373
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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