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________________ माघसुदी तिथि चौथी के दिन, सुक्कृतवर्म घरे सुतिया के। __ निर्मलनाथ प्रसूत भये जग, भूषण हैं वर मुक्तिप्रियाके। जों लग केवलकी पदवी नहिं, लेत आहार निहार न जाके, पूजत इन्द्र शची मिलि के सब, मैं पूजते हों पदयुग ताके। __ओं ह्रीं माघशुक्लचतु,यां जन्मकल्याणकप्राप्ताय श्री विमलनाथजिनेन्द्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा। माघ सुदी शुभ चौथ कहावत, छोड़त यावत राज-विभूती, वास कियो वनमें मनमें लख, जानि सबै जग की करतूती।। केश उपारि सुखारि भये शिव, आस लगी सुख की सुप्रसूती, मैं पदकंज सुधारि जजों अब, मोहि खिलाहू सो अमरूती। ओं ह्रीं माघशुक्लचतुथ्यां तपःकल्याणकप्राप्ताय श्री विमलनाथजिनेन्द्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा। केवलघातक जो प्रकृति सो, तिरेसठ घात करी तुम नीके, माघ सुदी छठि में उपजो पद, केवल भे प्रभु दीन दनी के। दे उपदेश उतारि भवोदधि, काज सिधारि दिये सबही के, पूजत मैं पद अध्य बनायके, तो लखि देव लगे सब फीके। ओं ह्रीं माघशुक्लषष्ठयां ज्ञानकल्याणकप्राप्ताय श्री विमलनाथजिनेन्द्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा। 332
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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