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________________ जयमाला - काव्य छन्द जय कुल-कमल-निदेश, चन्द्र भ्वि कुकुद प्रकाशी। जय अघरन प्रताप, करन सख सिद्धि निवासी।। जय नवीन वर ज्ञान, मित्र के शुभ उदयाचल। जय अडिग्ग धरिध्यान, सुवनरद लहत परमफल।। पद्धरि छन्द जय जन्म मरण रुज के हकीम। परमेश्वर परतापी सुसीम।। जग जीव उधारण को महन्त। जय नमो नमो प्रभु पुष्पदन्त।। जय खलक जपत तेरो स्वरूप। सो अलख महा आनन्दकूप।। जग जीव उधारण को महन्त। जय नमो नमो प्रभु पुष्पदन्त।। हो लोभ महारिपु को कुखेम। सब जीवन पै राखत सुक्षेम।। जग जीव उधारण को महन्त। जय नमो नमो प्रभु पुष्पदन्त।। जय आदि अन्त वर्जित सदैव। आनादि निधन हो महादेव।। जग जीव उधारण को महन्त। जय नमो नमो प्रभु पुष्पदन्त।। संशय-वन-दाहन को कृशानु। जय मिथ्यातम-नाशन सुभानु।। जग जीव उधारण को महन्त। जय नमो नमो प्रभु पुष्पदन्त।। जयलोक अलोकहि लखत येम। धात्रीफल लीन्हें हरत जेम।। जग जीव उधारण को महन्त। जय नमो नमो प्रभु पुष्पदन्त।। जय ज्ञान-महा-लोचन अपार। सब दरशी भे सर्वज्ञ सार।। जग जीव उधारण को महन्त। जय नमो नमो प्रभु पुष्पदन्त।। गुण पर्यय द्रव्य कहे त्रिकाल। प्रभु वर्तमान सम लखत हाल।। जग जीव उधारण को महन्त। जय नमो नमो प्रभु पुष्पदन्त।। जय परम-हंस सम्यक्तव सार। परमावगाढ़ के धरनहार।। जग जीव उधारण को महन्त। जय नमो नमो प्रभु पुष्पदन्त।। निज-परणति में भे परम लीन। प्रभु पर-परणति लखि त्याग कीन्ह।। जग जीव उधारण को महन्त। जय नमो नमो प्रभ पृष्पदन्त।। जय दुराराध्य दुख करन शान्ति। तन फटिकसमान महान कान्ति।। जग जीव उधारण को महन्त। जय नमो नमो प्रभु पुष्पदन्त।। जय दीनबन्धु तुम गुण अपार। सुरगुरु कथि पावत नाहिं पार।। 311
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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