SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 305
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जनो माता भू पै, शुभ इकदशी पौषवदि की। बजे घंटा आदी, भे सब अपुनसों छोभ आधि की ।। वहाँ पूजा किन्हीं, अमरपति ने जन्मदिन की । यहाँ मैं ले अर्घ्यं, यजन करता चन्द्र जिनकी ।। ओं ह्रीं पौषकृष्णैकादश्यां जन्मकल्याणकप्राप्ताय श्री चन्द्रप्रभ जिनेन्द्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा । कपाली संख्या की, तिथि वदी कहि पौष पल में। धरी दीक्षा स्वामी, विभव तजि आरण्यथल में।। डरे शत्रू सारे, कलमष कहे आदि जितने । लिये अर्घ्यं भारी, चरण युग पूजों तुअ तने|| ओं ह्रीं पौषकृष्णैकादश्यां तपः कल्याणकप्राप्ताय श्री चन्द्रप्रभ जिनेन्द्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा । भये ज्ञानी स्वामी, असित सातय फाल्गुन वदी । निवारे चौधाती, जगतजनतारे सुजलदी ।। करे पूजा थारी, सुरनर कहे आदि सबते। इहाँ मैं ले अर्ध्यम् पुजहूँ मनलगी आस कबते। ओं ह्रीं फाल्गुनकृष्णसप्ताम्यां ज्ञानकल्याणकप्राप्ताय श्री चन्द्रप्रभ जिनेन्द्राय अध्यम् निर्वपामीति स्वाहा । सुदी सातें, जानो, सुभग महिना फाल्गुन कहा। भये स्वामी तादिन, सो शिखरतें सिद्धप महा बजे बाजे भारी, सुर नरन कृत आनन्द वरतें । करों पूजा थारी, शुभ अरध ले आज करतें । ओं ह्रीं फाल्गुनशुक्ल सप्ताम्यां निर्वाणकल्याणकप्राप्ताय श्री चन्द्रप्रभ जिनेन्द्राय अघ्यम् निर्वपामीति स्वाहा । 305
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy