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________________ श्री चन्द्रप्रभ जिन-पूजा (रचयिता - कविवर मनरंगलाल) स्थापना- गीता छन्द शुभ चन्द्रपुर नृप महासेन, सुलक्षणा माता जने। सो चन्द्रप्रभु वपु चन्द्रसमपद, चन्द्र अंक सुहावने।। तजि वैजयन्त विमान वंश, इक्ष्वाकु नभके भानु भे। आऊष दशलख वर्ष उन्नत, डेढ़ सै धनुमान भे।। सोरठा कुकुदचन्द्र भगवान, भविकफुल्ल प्रफुलित करन। अमिय करावत पान, अत्र आय तिष्ठो प्रभो।। ओं ह्रीं श्री चन्द्रप्रभजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् (इति आह्वाननम्) ___ओं ह्रीं श्री चन्द्रप्रभजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठौ तिष्ठौ ठः ठः। (स्थापनम्) ओं ह्रीं श्री चन्द्रप्रभजिनेन्द्र! अत्र मम सन्निहितौ भव भव वषट् (सन्निधिकरणम्)। अष्टक - जोगीरासा छन्द रतननजडित कनकमय भाजन, तामधि गंगा पानी। फटिकसमान मिलाय अगरजा, गंध बहे मनमानी।। चन्द्रप्रभ के पदनख ऊपर, कोटि चन्द्रदुति लाजे। दरवित भावित भाव शुद्धकरि, जजों सप्तभय भाजे।। ओं ह्रीं श्री चन्द्रप्रभ जिनेन्द्राय जन्मजरामृत्युविनाशनाय जलम् निर्वपामीति स्वाहा। मलयागिरघसि चन्दन नीको, भलौ सिताभ्र मिलाऊँ। अग्निशिखा मिश्रितकरि आछो, कनककटोरा ल्याऊँ । चन्द्रप्रभ के पदनख ऊपर, कोटि चन्द्रदुति लाजे। दरवित भावित भाव शुद्धकरि, जजों सप्तभय भाज।। ओं ह्रीं श्री चन्द्रप्रभ जिनेन्द्राय भवातापविनाशनाय चन्दनम् निर्वपामीति स्वाहा । 302
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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