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________________ जयमाल - त्रिभंगी छन्द जय जिनवर दूजा, सुरपति पूजा, तो सम दूजा और नहीं। जय घटघटपरघट दिग कीन्हेंपट निपट कठिनपट धरत सही।। जय शिवतियकिय बस, लेत अधररस, प्रसरत भूजस किम कहिये। जय जय गुण सीमा बड़ी महीमा, दरसन ही मा दुख दहिये।। चौपाई छन्द जय जय अजित धरम-धुरधारी, बिनकारन जग बान्धव भारी। जय मदमोचन लोचनज्ञाना, देखत लोकालोक महाना।। कामपंकनासन भगवाना, प्रलयकाल के मेघसमाना। देखत तुम पातकनस जाई, गरुड़लखे ज्यों व्याल पराई।। चिन्तामणी कहा तुम आगे, पर सुखदाई आप अभागे। आपु तरे तुम औरन तारे, इह उपमा तुम कहत पुकारे।। कहत कल्पतरु तुम सम कोई, तुम आगे से कछुनहिं होई। वहथावर अरुकाष्ठ विचारा, तुम अनन्त महिमागुणधारा।। सूर चन्द जे कहे अनेका, तुम पटतर नहिं द्वै में एका। ज्ञान सूर आनन तुम चन्दा, अहनिश रहत सदैव अमंदा।। कंटक सहित कमलदल सारे, तुम पद कंट दोष तें न्यारे। यातें कमल कछू नहिं कहिये, तुमपद आगे कहा सरहिये।। तुमपदतट लोटत शिवनारी, करत आलिंगन भुजा पसारी। तुमको धोक देत जो कोई, मुकति रमिनको भरता होई।। पारस पत्थर कंचन करे, तो क्या अधिक बातकों धरे। तुम पद भेटत दीनदयाला, तुमसम सो होवे ततकाला।। करमचक्रपर चढि यह जीवा, भ्रमत चहूँगति मांहि सदीवा। ताहि उतारन तुम ही देवा, समरथ जानि करों पदसेवा।। याते नमो नमों जिनराई, नमो नमों मम होउ सहाई। इह विनती कर जोरे करों, भवसागर अबके नहिं परों। 272
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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