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________________ दशमी बदी वैशाख ही, जनमे जुत-त्रय-ज्ञान। सकल सुरासुर गिरि जजे, मैं जजहूँ धरि ध्यान।। ऊँ ह्रीं वैशाखकृष्णा-दशम्यां जन्ममंगल-प्राप्ताय श्रीमुनिसुव्रतनाथजिनेन्द्राय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।।2। कृष्ण दशमी वैशाख तप, धर्यो परिग्रह त्याग। नगन दिगम्बर वन बसे, जजू चरण जुत-राग।। ऊँ ह्रीं वैशाखकृष्णा-दशम्यां तपोमंगल-मंडिताय श्रीमुनिसुव्रतनाथजिनेन्द्राय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।।3।। नौमी बदी वैशाख ही, हने घाति दुख-दाय। कह्यो धर्म केवलि भये, जनूँ चरण गुण गाय।। ऊँ ह्रीं वैशाखकृष्णा-नवम्यां ज्ञानमंगल-मण्डिताय पजिनेन्द्राय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।।4।। फाल्गुन द्वादशी कृष्ण की, हनि अघाति निरवाण। गये सुरासुर पद जजे, जजहूँ मोक्षकल्याण।। ऊँ ह्रीं फाल्गुनकृष्णा-द्वादश्यां मोक्षमंगल-मण्डिताय श्रीमुनिसुव्रतनाथजिनेन्द्राय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।।5।। जयमाला (दोहा) श्री मुनिसुव्रत जिनतेने, नमूं जुगल-पद सार। भवदधि तारणतरण हो, पतित-उधारणहार।।1।। (चाल- समीन्धर जिनवन्दस्यां जगसार हो) मुनिसुव्रत जिनवन्दस्यां जगसार हो, नगर कुसागर भूप। पिता नमूं सुहमित्तजी जगसार हो, श्रीहरिवंश अनूप।। अनूप श्रावण दूज कारी, सुरग प्राणततै चये। 239
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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