SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 211
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जल गन्धाक्षत पुष्प दीप चरु धूप मिलावै । अर्घ रामचन्द करै नेमि फल शिव-सुख पावै।। जनम-मृत्यु-आताप दुरित-दारित दुख-खण्डन। जजूँ चरण धरि भक्ति धर्म जिन शिव के मण्डन ॐ ह्रीं श्रीधर्मनाथजिनेन्द्राय अनर्घ्यपद प्राप्तये अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा। 9। पंचकल्याणक (दोहा) सर्वारथ-सिधितैं चये, गर्भ सुव्रतासार तेरसि सित बैशाख की, लयो जजूँ भवतार ॥ ऊँ ह्रीं वैशाखशुक्ला - अष्टम्यां गर्भमंगल-मण्डिताय श्रीधर्मनाथजिनेन्द्राय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।1। जनम माघ सुदी त्रयोदशी, सुरपति लखि इत आय। सुरगिरि ले सनपनि जजे, मैं जजहूँ गुण गाय || ॐ ह्रीं माघशुक्ला - त्रयोदश्यां जन्ममंगल-मण्डिताय श्रीधर्मनाथजिनेन्द्राय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा। 2। माघ शकल तेरसि तज्यौ, तृणवत राज महान । धर्यौ धीर तप वन विषै, जजूँ धर्म भगवान ॐ ह्रीं माघशुक्ला - त्रयोदश्यां तपोमंगल-मण्डिताय श्रीधर्मनाथजिनेन्द्राय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा । 3 । पौष शुक्ल पूनम हने, घाति कर्म लहि ज्ञान। कही सकल थिति लोक की, जजूँ बोध कल्याण।। ॐ ह्रीं पौषशुक्ला - पूर्णिमायां ज्ञानमंगल-मण्डिताय श्रीधर्मनाथजिनेन्द्राय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।4। जेष्ट शुक्ल तिथि चैथी ही, हनि अघाति शिवथान। गये समेदाचल थकी, जजूँ मोक्ष कल्याण। ऊँ ह्रीं ज्येष्ठशुक्ला-चतुर्थ्यां मोक्षमंगल-मण्डिताय श्रीधर्मनाथजिनेन्द्राय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।5। 211
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy