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________________ श्री अनन्तनाथ जिन-पूजा ( रचयिता - श्री रामचन्द्र जी ) (अडिल्ल) वाह्य-अभ्यन्तर त्यागि परिग्रह जति भये । बहुजन-हित शिवपन्थ दिखायो हरि गये।। ऐसे अन्त जिनेश, पाय नमिहूँ सदा । आह्वानन विधि करूँ त्रिविध करिकें मुदा ॥1॥ ऊँ ह्रीं श्रीअनन्तनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट्। (इति आह्वाननम् ) ऊँ ह्रीं श्रीअनन्तनाथजिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः । (स्थापनम् ) ऊँ ह्रीं श्रीअनन्तनाथजनेन्द्र ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्। (सन्निधिकरणम्) नाराच छन्द क्षीर-नीर हीर- गौर सोम-शीत धारया । मिश्र - गन्ध रत्न - भंग पाप नाश कारया ।। अनन्तनाथ -पाय- सेव मोख्य-सौख्य दाय है। अनन्तकाल-श्रमज्वाल पूजतैं नसाय है ।। ॐ ह्रीं श्री अनन्तनाथजिनेन्द्राय जन्मजरामृत्यु-विनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा। 1 । कुंकमादि चन्दनादि गन्ध शीत-कारया । सम्भवेत अन्तकेन भूरि-ताप- हारया।। अनन्तनाथ -पाय- सेव मोख्य-सौख्य दाय है। अनन्तकाल-श्रमज्वाल पूजतैं नसाय है।। ॐ ह्रीं श्री अनन्तनाथजिनेन्द्राय भवाताप-विनाशनाय चंदनं निर्वपामीति स्वाहा। 2। 203
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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