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________________ किसनागर ल्यावें, अगर मिलावें, भरि धूपायन प्रभु आगें। खेये शुभपरिमलतें, मधु आवै, करम जरै निज सुख जागे।। अभिनन्दन स्वामी अन्तरयामी, अरज सुनो अति दुख पाऊँ। भव-वास वसेरा, हरि प्रभु मेरा, मैं चेरा तुम गुण गाऊँ।। ऊँ ह्रीं श्रीअभिनन्दननाथजिनेन्द्राय अष्टकर्म-दहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा। फल उत्तम ल्या, प्रासुक मोहन, गन्ध सुगन्धे रसवारे। भरि थाल चढ़ावें, सो फल पावें, मुक्ति महा तरु के प्यारे।। अभिनन्दन स्वामी अन्तरयामी, अरज सुनो अति दुख पाऊँ। भव-वास वसेरा, हरि प्रभु मेरा, मैं चेरा तुम गुण गाऊँ।। ऊँ ह्रीं श्रीअभिनन्दननाथ जिनेन्द्राय मोक्षमहाफल-प्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा। करि अर्घ महाजल, गन्ध सु लेकरि, तन्दुल पुष्प सु चरु मेवा। मणि दीप सु धूपं, फल जु अनूपं, रामचन्द फल शिवा सेवा।। अभिनन्दन स्वामी अन्तरयामी, अरज सुनो अति दुख पाऊँ। भव-वास वसेरा, हरि प्रभु मेरा, मैं चेरा तुम गुण गाऊँ।। ॐ ह्रीं श्रीअभिनन्दननाथजिनेन्द्राय अनर्घ्यपद-प्राप्तये अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा। ___ पंचकल्याणक (दोहा) अष्टमि सित बैसाख तजि, विजय विमान सुरिन्द। अवतरि गर्भ सिधारया, लयो जजू गुण वृन्द।।1। ऊँ ह्रीं वैशाखशुक्ला-अष्टम्यां गर्भमंगल-मंडिताय श्रीअभिनन्दननाथजिनेन्द्राय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा। जन्म माघ सुदी द्वादशी, सुरपति लखित इत आय। सनपन करि सुर गिरि जजे, हम जजि हैं गुण गाय।।2।। ऊँ ह्रीं माघशुक्ला-द्वादश्यां जन्ममंगल-मंडिताय श्रीअभिनन्दननाथजिनेन्द्राय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा। 151
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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