SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 137
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ फागुन असित इकादसि ज्ञान, उपज्यो धर्म कह्यो भगवान। चतुर निकाय देव नर-नारि, पूजे मैं पूजूं भव तारि।।4।। ॐ ह्रीं फाल्गुनकृष्णा-एकादश्यां ज्ञानकल्याणक-प्राप्ताय श्रीवृषभनाथजिनेन्द्राय अयं निर्वपामीति स्वाहा। माघ असित चौदसि विधि सेन, हने मोक्ष पायी शिव दैन। सुर नर खग कैलाश सु थान, पूजे मैं पूनँ धरि ध्यान।।5।। ऊँ ह्रीं माघकृष्णा-चतुर्दश्यां मोक्षमंगल-मण्डिताय श्रीवृषभनाथजिनेन्द्राय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा। जयमाला (अडिल्ल) आदि जिनेश्वर आदि लब्धि केवलमई, समोशरण धनदेव रच्यौ को बरनई। द्वादश जोजन ठीक महाशोभा धरै, बीस सहस सोपान सुरासुर जै करें। जय धूप साल पण रतन चूर, ढिग मानसथम्भ उद्योत सूर। चउवापी मधि अम्बुज सुहाय, लखि मानी को मद भंग थाय।।1।। जय खाई मधि नीरज मराल, वन कल्पलता बहु कुसुम जाल। प्राकार रतनमय तेज मान, चउ गोपुर प्रति द्वै धूप दान।।2।। सत सात तोरण द्वै नाट साल, सुरतिय गावें जिन गुण विशाल। वन सुरतरु चैत्य अशोक आम, धुज वरण-वरणा वन सर्व ठाम।।3।। चामीकर वेदी चऊ दुवार, वन च्यारि फेरी शोभा अपार। कलधौत सार दूजो उतंग, चव गोपुर पूरव उत सुचंग।।4।। चउ वन वेदी वन चार-चार, कहुँ नन्दी परवत गेह सार। सिद्धारथ द्रुम मनहर सरूप, जिन बिम्बांकित बहुत पुनि सरूप।।5।। कहुँ लता भवन गावै कल्यान, बहु बाजै बीन मृदंग तान। नाचें किन्नर गन्धर्व गीत, जिन गुण गावें अपछर संगीत।।6।। __ सब द्वारपाल कर गदा नूप, कर जोर चले सुर खचर भूप। फिरि फटिक कोट शोभा अमान, चऊ गोपुर मंगल द्रव्य जान।।7। 137
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy