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________________ जनम चैत सित तेरस के दिन, कुण्डलपुर कन वरना। सुरगिरि सुरगुरु पूज रचायो, मैं पूजों भव-हरना । मोहि राखो हो सरना, श्रीमहावीर जिनरायजी, मोहि राखो हो सरना । ॐ ह्रीं चैत्रशुक्लत्रयोदश्यां जन्मकल्याणकप्राप्ताय श्रीमहावीरजिनेन्द्राय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा । मगसिर असित मनोहर दशमी, तादिन तप आचरना । नृप-कुमार घर पारन कीनों, मैं पूजों तुम चरना ॥ मोहि राखो हो सरना, श्रीमहावीर जिनरायजी, मोहि राखो हो सरना ॥ ॐ ह्रीं मार्गशीर्षकृष्णदशम्यां तपःकल्याणकप्राप्ताय श्रीमहावीरजिनेन्द्राय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा। शुकलदशैं वैशाख दिवस अरि, घातिचतुक छयकरना केवल लहि भवि भव-सर तारे, जजों चरन सुख भरना ॥ मोहि राखो हो सरना, श्रीमहावीर जिनरायजी, मोहि राखो हो सरना । ॐ ह्रीं वैशाखशुक्लदशम्यां ज्ञानकल्याणकप्राप्ताय श्रीमहावीरजिनेन्द्राय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा । कार्तिक श्यामअमावस शिवतिय, पावापुर तें वरना। गनफनिवृन्द जसैं तित बहुविधि, मैं पूजों भयहरना ॥ __ मोहि राखो हो सरना, श्रीमहावीर जिनरायजी, मोहि राखो हो सरना ॥ ॐ ह्रीं कार्तिककृष्णामावस्यायां मोक्षमंगलप्राप्ताय श्रीमहावीरजिनेन्द्राय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा । जयमाला छन्द हरिगीता, २८ मात्रा गनधर असनिधर, चक्रधर, हलधर गदाधर वरवदा, अरु चापधर विद्यासुधर, तिरसूलधर सेवहिं सदा । दुख हरन आनन्द-भरन तारन, तरन चरन रसाल हैं, सुकुमाल गुन-मनिमाल उन्नत, भाल की जयमाल है ॥ 131
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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