SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 128
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री महावीर जिन-पूजा (रचयिता - वृन्दावनदास) अथ स्थापना - मत्तगयन्द छन्द श्रीमत वीर हरें भव-पीर, भरें सुख-सीर अनाकुलताई, केहरि-अंक अरीकरदंक, नये हरि-पंकति-मौलि सुआई। मैं तुमको इत थापतु हौं प्रभु, भक्ति समेत हिये हरषाई, हे करुणा-धन-धारक देव इहाँ अब तिष्ठहुँ शीघ्रहि आई ॥ ॐ ह्रीं श्रीमहावीरजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट्। (इति आह्वाननम्) ॐ ह्रीं श्रीमहावीरजिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः । (स्थापनम्) ॐ ह्रीं श्रीमहावीरजिनेन्द्र ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् । (सन्निधिकरणम्) अष्टक क्षीरोदधि सम शुचि नीर, कंचन-भंग भरों, प्रभु वेग हरो भव-पीर, यातें धार करों। श्रीवीर महा अतिवीर सन्मति नायक हो, जय वर्द्धमान गुण-धीर सन्मति-दायक हो ॥ ॐ ह्रीं श्रीमहावीरजिनेन्द्राय जन्मजरामृत्युविनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा । मलयागिर-चन्दन सार, केशर-संग घसौं । प्रभु भव-आताप निवार, पूजत हिय हुलसौं ॥ श्रीवीर महा अतिवीर सन्मति नायक हो, जय वर्द्धमान गुण-धीर सन्मति-दायक हो ॥ ॐ ह्रीं श्रीमहावीरजिनेन्द्राय भवातापविनाशनाय चन्दनं निर्वपामीति स्वाहा । 128
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy