SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 118
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री नेमिनाथ जिन-पूजा (रचयिता - श्री वृन्दावन) (छंद लक्ष्मी तथा अर्द्धलक्ष्मीधरा) जैतिजै जैतिजै जैतिजै नेम की, धर्म-औतार दातार श्योचैन की। श्री शिवानंद भौफंद निःकन्द, ध्यावै जिन्हें इन्द्र नागेन्द्र औ मैन-की।। परमकल्यान के देनहारे तुम्ही, देव हो एव तातें करौं ऐन-की। थापि हौ वार ते शुद्ध उच्चार कें, शुद्धताधार भो-पार कू लेन-की।। ॐ ह्रीं श्रीनेमिनाथजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट्। (इति आह्वाननम्) ___ ऊँ ह्रीं श्रीनेमिनाथजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः। (स्थापनम्) ऊँ ह्रीं श्रीनेमिनाथजनेन्द्र! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्। (सन्निधिकरणम्) अष्टक (चाल होली) दाता मोक्षके, नेमिनाथ जिनराय, दाता॥टेक।। गंग-नदी कुश प्राशुक लीनो, कंचन-भुंग भराय। मन-वच-तनतें धार देत ही, सकल कलंक नशाय।। दाता मोक्षके, नेमिनाथ जिनराय, दाता मोक्षके।। ऊँ ह्रीं श्रीनेमिनाथजिनेन्द्राय जन्मजरामृत्यु-विनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा।।। हरिचन्दन-जुत कदलीनन्दन, कुंकुम संग घिसाय। विघनताप-नाशन के कारन, जजौं तिहारे पाय।। दाता मोक्षके, नेमिनाथ जिनराय, दाता मोक्षके।। ऊँ ह्रीं श्रीनेमिनाथजिनेन्द्राय भवाताप-विनाशनाय चंदनं निर्वपामीति स्वाहा।2। पुण्यराशि तुम जस-सम उज्ज्वल, तंदुल शुद्ध मंगाय। अखय-सौख्य भोगन के कारन, पुंज धरौं गुनगाय।। दाता मोक्षके, नेमिनाथ जिनराय, दाता मोक्षके।। ॐ ह्रीं श्रीनेमिनाथजिनेन्द्राय अक्षयपद-प्राप्तये अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा।। 118
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy