SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 85
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 84 ६४. आरती मेरे प्रभु की आरती है राज रही चेतना में ज्ञान भेरी बज रही । विषय और कषाय का अवसान आया कर्म-करणी पर ज्ञान और विज्ञान छाया । अनन्त की इस भाव भीनी अर्चना को विश्व की इस शान्त शुभ सर्जना को । मेरे अनन्त प्रणाम, मेरे अनन्त प्रणाम । शान्ति की शुभ भावना को, मेरे अनन्त प्रणाम ! मेरे हृदय गगन में आनन्द की बंशी बजी विज्ञान भैरवी की सुरीली अप्सराएँ हैं सजी । चढ़ेगी कर्म बादल पर ज्ञान और विज्ञान बनकर । करेगी चूर कर्मों को आतम ज्ञान बनकर ।
SR No.009229
Book TitleAntar Ki Aur
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJatanraj Mehta
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2013
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy