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________________ महावीर सर्वव्याधिविनाशक विस्फोटक जये प्राप्ते रक्ष रक्ष महाबल ९ यत्र त्वं तिसेक नमः योविस्तीर्थ नमः काय फाय कुरुष्टष्टकुरुश्र | चिरजाति की श्री घंटाकणे नमी सुते 6:5:6: स्वाहा है. जिने पूजितं वंदे स्वाहा सर्वोपद्रवात् गूम्बा तु वै ब mitochon mel 日 हम ८०२ नमः म २ श्रीक बा यनमः इ सय ४५ जून नरदनाप नमः બચાવવ वानर प नमः उन्ह३५ स्पेनमः कु नमः परसन १०२ वे अनुमायैरोटा म. यंत्र- १० मो किनमः का स्पेनमः ३.सु.] उपस नमः नमः दवेदन स्वा ई की स्वा ज 15 ६०५३: गा चैनमः ६परून ४० स हा ज्याला मः चैनमः E ह gene 九 九 BAND DANA ચિત્ર ૧૪૦ નિજયપ′ત્ત ચૈત્ર ૧૯ ૩૪ ૨૦૦ सिरहाकरुशा श्रीपार्श्वनाथायनमः ॐनमो नमस्ते पार्श्व यक्षाधिपतये नमः बनती हरपंति जि:रोगाश्वपति बपरीत फोनवाः २ नवराजजयं नास्ति यांतिक ज श्री पद्माव राति सचेन समंत्र मम स्वाहा ॥ सर्वामरपूजितंवंद स्वाहा ॥ जु जेंवर कनकख विद्रुममरकत ॥ अः 'क 欢 پا २५रु८०२ हिली शेती २० मा ४५२ दे नवी 리 ७० हम क्त दा ज्यो श्रा T) धारि म ५५ मा १० र होमा सी ऐ थे यू ई. १५ॐ चन्द्रच सजा ऊंशी ला ३. सुंध ७५ सः न सा क्रेश्वरी बदन ६५ रुम ४० सः दाकाजी का لكم काँ لله धन सन्नी नंगि माद ॥ जो इस वामि विमानवासी रु ॐ ल ही ચિત્ર ૧૪૧ વિજયપવૃત્ત યંત્ર ૨૦ પૃષ્ઠ ૨૦ પર
SR No.009125
Book TitleMahaprabhavi Navsmaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSarabhai Manilal Nawab
PublisherSarabhai Manilal Nawab
Publication Year1938
Total Pages762
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size100 MB
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