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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शालिभद्रना माताजी एम वलवले, रंग एकवार पार्छ वाळी जुओ. प्री० १४ धन्नानी माताजी एम वलवले, __ रंग एकवार पार्छ वाळी जुओ. प्री० १५ शीला उपर कर्यो संथारो रे, __ रंग चारे आहारना कर्या पच्चक्खाण. प्री० १६ अणसण करी एक मास- रे, रंग० पहोंच्या सर्वारथ सिद्ध मोझार. प्री० १७ हीरविजय गुरु हीरलो रे, ___ रंग० 'मानविजय' गुण गाय. प्री० १८ धन्ना अणगारनी सन्झाय चरण कमल नमी वीरनां रे, पूछे श्रेणिकराय रे; मुनि स्युं मन मान्यो, चउद सहस मुनि ताहरे, अधिको कोण कहेवाय रे. मुनि० १ जिन कहे अधिको माहरे, धन धन्नो अणगार रे; मुनि० रिद्धि छती जेणे परिहरी रे, तजी तरुणी परिवार रे. मुनि० २ सिंह तणी पेरे नीकळी रे, पाळे व्रत सिंह समान रे; मुनिक क्रोध लोभ माया तजी रे, दूर कर्यो अभिमान रे. मुनि० ३ मुज हाथे संयम ग्रही रे, पाळे निरतिचार रे; मुनि० ६२ For Private And Personal Use Only
SR No.008932
Book TitleSadhubhai Samaya Sudharas Pije
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaratnasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2006
Total Pages196
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Discourse
File Size5 MB
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