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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सोनी सोनाने घडे रे, वली घडे रूपाना घाट; घाट घडे मन रीझवे रे, वांकुं चित्तडं सोनैया मांह. मनाजी.४ जुगटीयां मन जुगटुं रे, कामीने मन काम; आनंदघन एम विनवे रे, ऐसे प्रभुको धर ध्यान. मनाजी.५ मोक्षनगर सन्झाय मोक्ष नगर मारुं सासरूं, अविचल सदा सुखवास रे; आपणा जिनवर भेटीये, तिहां करो लील विलास रे. मोक्ष.१ ज्ञान दरिशण आणा आवीया, करो करो भक्ति अपार रे; शीयल शृंगार पहेरो शोभतां, उठी उठी जिन समरंत रे. मोक्ष.२ विवेक सोवन टीलुं तप, जीवदया कुंकुम रोल रे; समकित काजल नयणरो, साचुं साचुं वयण तंबोल रे. मोक्ष.३ समता वाट सोहामणी, चारित्र वहेल जोडाव रे; तप जप बलद धरी जोतरो, भावना भावो रसाल रे. मोक्ष.४ कारमुं सासरूं परिहरो, चेतो चेतो चतुर सुजाण रे; ज्ञान विमल सूरि इम भणे, तिहां छे मुक्तिनुं ठाम रे. मोक्ष.५ धोबीडा सम्झाय धोबीडा तुं धोजे मननुं धोतीयु रे, रखे राखतो मेल लगार रे; एणे रे मेले जग मेलो कर्यो रे, २१ For Private And Personal Use Only
SR No.008932
Book TitleSadhubhai Samaya Sudharas Pije
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaratnasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2006
Total Pages196
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Discourse
File Size5 MB
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