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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पर्व.३ उत्तम सागर शिष्य, प्रणमे ते निशदिश; आ छे लाल, नवपद महिमा जाणियोजी. ५ पर्युषण पर्व सन्झाय पर्व पजुसण आवीया, आनंद अंग न माय रे; घर घर उत्सव अति घणां, श्री संघ आवे ने जाय रे. पर्व.१ जीव अमारि पलावीये, कीजिये व्रत पच्चक्खाण रे; भाव धरी गुरु वंदीये, सुणीये सूत्र वखाण रे. पर्व.२ आठ दिवस एम पालीये, आरंभनो परिहारो रे; न्हावण धोवण खंडण, लींपण पीसण वारो रे. शक्ति होय तो पच्चक्खीए, अट्ठाइ अति सारो रे; परम भक्ति प्रीते वहोरावीए, साधुने चार आहारो रे. पर्व.४ गाय सोहागण सर्व मली, धवल मंगल गीत रे; पकवान्नो करी पोषिये, पारणे साहम्मि मन प्रीतरे. पर्व.५ सत्तर भेदी पूजा रची, पूजो श्री जिनराय रे; आगल भावना भावीये, पातक मल धोवाय रे. लोच करावे रे साधुजी, बेसे बेसणा मांडी रे; शिर विलेपन कीजीये, आलस अंगथी छांडी रे. पर्व.७ गज गति चाले चालती, सोहागण नारी ते आवे रे; कुंकुम चंदन गहुंली, मोतीये चोक पुरावे रे. पर्व.८ पर्व.६ ११ For Private And Personal Use Only
SR No.008932
Book TitleSadhubhai Samaya Sudharas Pije
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaratnasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2006
Total Pages196
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Discourse
File Size5 MB
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