SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 157
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आंख मींचाये कशुं न हाथे, जावू सहु विसारीरे. माया. ९ करशो परमातमथी प्रीति, गुरु सेवो उपकारी रे, बुद्धिसागर धर्मीजननी, हुं जाउं बलिहारी रे. माया. १० गुरुगमथी भाई ज्ञान ग्रहो तुम गुरुगमथी भाई ज्ञान ग्रहो तुम, गुरु देवता गुरु दीवो, गुरु आंखो ने गुरु छे पांखो, गुरु गीतारथ जगदीवो. गुरु १ गुरु कृपाथी ज्ञान ज प्रगटे, विघटे मिथ्या मल भारी, चिरंजीवजो गुरु गीतारथ, बूंडतां बेडली तारी. गुरुगम २ देवगुरु दो खडे देखकर, वंदो किसकुं पहेला भाई, उपकारी गुरु वंदन पहेला, सज्जनोए दीधुं बताई. गुरुगम ३ गुरुने देखी वंदन करवू, नम्र वचन उच्चर, हाथ जोडकर सुणो देशना, गुरुविनये मनडुं धरवू. गुरुगम ४ समकित दायक सद्गुरु दर्शन, विधिए करजो नरनारी, प्राणान्ते पण गुरुनी आणा, लोपो नहीं हिंमतहारी. गुरुगम ५ जेना माथे सद्गुरु नहीं, ते नगुरा दुःख लहेशे भारी, सेवो गुरुने ज्ञानना अर्थे, समज समज मन संसारी.गुरुगम ६ गुरुनी भक्ति करजो प्रेमे, श्रद्धा मन लावी सारी, बुद्धिसागर वंदो सद्गुरु, हुं जाउं तस बलिहारी. गुरुगम ७ १४३ For Private And Personal Use Only
SR No.008932
Book TitleSadhubhai Samaya Sudharas Pije
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaratnasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2006
Total Pages196
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Discourse
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy