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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुद्गलनी बाजी सहु जुठी, ममता तेनी खोटी, करोडपतिनी साथ न कोई, लखपति नही लंगोटी. समता. ३ सुख दुःख वादळ छाया पेठे, क्षण क्षणमां बदलातुं, नाटकीया पेठे अवतारो, लहीने नाटक थातुं. समता. ४ कर्म वशे सहु जीवो भमतां, भमतां दुःखडा पावे, कर्म नचावे तेवू नाचे, स्थिरता क्यांय न पावे. समता. ५ नहीं नारी ने नहीं नपुंसक, नहीं तुं नर अवतारी, पुद्गलना वेषो पहेरीने, भटके भवमां भारी. समता.६ पुद्गलना संगे क्रोधादिक, थाता ते नहीं पोते, आतम सत्ताए परमातम, शुद्धज्ञाननी ज्योते. समता. ७ निंदा के स्तुति नही तारी, रागादिकथी न्यारो, सत्ताए तुं सिद्ध समोवड, ज्ञानादिक आधारो. समता.८ आत्मस्वरूपे तारे रहे, धर्म ए ज छे साचो, रागद्वेषमा चित्त न देवू, परमभावमां राचो. समता. ९ अलख निरंजन रूप मझार्नु, सत्ता ध्याई लेवू, बुद्धिसागर सिद्ध सनातन, ब्रह्म रूपने से. समता. १० मायामां मनडुं मोर्खा रे मायामां मनडु मोर्खा रे, जागीने जो तुं, नरभवनुं जीवन खोयुं रे, जागीने जो तुं. १४० For Private And Personal Use Only
SR No.008932
Book TitleSadhubhai Samaya Sudharas Pije
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaratnasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2006
Total Pages196
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Discourse
File Size5 MB
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