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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अबळा एव॒ नाम धरावे, सबळाने समजावे रे; हरिहर-ब्रह्मा-पुरंदर सरखा, ते पण दास कहावे रे. २ जांग चीरीने मांस खवडाव्युं, तो पण न थई एहनी रे; मुखनी मीठी दिलनी जुट्ठी, कामिनी न होय कोईनी रे. ३ पगले पगले मन ललचावे, श्वासोश्वासथी जुदी रे; गरज पडे त्यारे घेली थाये, काम सरे जाये कूदी रे. ४ करणी एहनी कही नवि जाए, कामिनी तणी गति न्यारी रे, गायुं एहनुं जे नर गाशे, तेणे सद्गति हारी रे. जो लागी तो सर्वस्व लूंटे, रुठी तो राक्षसी तोले रे; एम जाणीने अळगा रहेजो, उदयरत्न इम बोले रे. जीवदयानी सन्झाय गजभवे ससलो उगारीयो रे, करुणा आणी अपार; श्रेणीकने घेर उपन्यो रे, अंगज मेघकुमार चतुरनर! जीवदया धर्मसार, जेथी पामीये भवनो पार. चतुर० १ वीर वांदी वाणी सुणी रे, लीधो संयम भार; विजय विमाने ऊपन्यो रे, सिद्धशे महाविदेह मोझार. चतुर० २ नेमि प्रभु गया परणवा रे, सुणी पशुडानो पोकार; पशुडानी करुणा उपनी रे, तज्या राजीमती नार. चतुर० ३ ९४ For Private And Personal Use Only
SR No.008932
Book TitleSadhubhai Samaya Sudharas Pije
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaratnasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2006
Total Pages196
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Discourse
File Size5 MB
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