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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir समयमें रे गोयम म कर प्रमाद... वीर जिनेश्वर शीखवेजी, परिहर मद विखवाद. जिम तरु पंडुर पांदडुडुंजी, पडतां न लागेजी वार; तिम ए चंचळ जीवडोजी, स्थिर न रहे संसार. समयमें० २ डाभ अणी जाल उसनोजीरे, क्षण एक रहे जलबिंदु; तिम ए चंचल जीवडो जी, न रहे इन्द्र नरीन्द्र. समयमें० ३ सूक्ष्म निगोद भमी करीजी रे, राशी चढ्यो व्यवहार; लाख चोराशी जीवायोनिमांजी, लाध्यो नरभव सार. समयमें ४ शरीर जराए जर्जयुंजी, शिरपर पळिया रे केश; इन्द्रिय बळ हीणा पड्याजी, पग पग पेखे कलेश.समयमें० ५ भवसायर तरवा भणीजी, चारित्र प्रवहण पूर; तप जप संयम आकराजी, मोक्ष नगर छे दूर. समयमें ६ इमनिसुणी प्रभुदेशनाजी गणधर थया सावधान; पाप पडल पाछा पड्याजी, पाम्या केवलज्ञान. समयमें० ७ गौतमना गुण गावताजी, घर संपत्तिनी क्रोड; वाचक श्रीकरण इम भणेजी, वंदु बे करजोड. समयमें० ८ मनुष्यभवनी सन्झाय मनुष्य भवनुं टाणुं रे, काले वही जशे रे, अरिहंतना गुण गावो नर नार; ८६ For Private And Personal Use Only
SR No.008932
Book TitleSadhubhai Samaya Sudharas Pije
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaratnasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2006
Total Pages196
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Discourse
File Size5 MB
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