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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ........... सिद्धाचल तीर्थ चैत्यवंदन विमल-केवल-ज्ञान-कमला-कलित, त्रिभुवन हितकरं. सुरराज-संस्तुत-चरण-पंकज, नमो आदि जिनेश्वरं. .........! विमल-गिरिवर-शृंग-मण्डन, प्रवर-गुणगण-भूधरं. सुर-असुर-किन्नर-कोडि-सेवित, नमो आदि जिनेश्वरं. .......२ करती नाटक किन्नरी-गण, गाय जिन-गुण मनहरं. निर्जरावली नमे अहो निश, नमो आदि जिनेश्वरं. पुण्डरीक गणपति सिद्धि साधी, कोडी पण मुनि मनहरं. श्री विमल गिरिवर-शृंग सिद्धा, नमो आदि जिनेश्वरं.........४ निज साध्य-साधक सुर-मुनिवर, कोडि अनन्त ए गिरिवरं. मुक्ति-रमणी वर्या रंगे, नमो आदि जिनेश्वरं. ........५ पाताल-नर-सुर-लोकमांही, विमल गिरिवर तो परं. नहि अधिक तीर्थ तीर्थपति कहे, नमो आदि जिनेश्वरं.......६ इम विमल गिरिवर-शिखर-मण्डण, दुःख-विहण्डन ध्याईये. निज शुद्ध-सत्ता-साधनार्थं, परम ज्योति निपाईये.............७ जित-मोह-कोह-विछोह निद्रा, परम-पद-स्थिति जयकरं. गिरिराज-सेवा-करण तत्पर, पद्म विजय सुहितकरं........८ ५७ For Private And Personal Use Only
SR No.008902
Book TitleJinandji Bhav Jal Par Utar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaratnasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2007
Total Pages292
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size7 MB
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