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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org श्री महावीर जिन स्तुति जय! जय! भवि हितकर, वीर जिनेश्वर देव; सुर - नरना नायक, जेहनी सारे सेव; करुणा रस कंदो, वंदो आनंद आणी, त्रिशला सुत सुंदर, गुण-मणि केरो खाणी. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only १ भावपूजानी पूर्णाहुति करतां... करतां... नीचेनी भाववाही सुंदर भावना भाववी... आव्यो शरणे तमारा जिनवर ! करजो, आश पूरी अमारी, नाव्यो भवपार म्हारो तुम विण जगमां, सार ले कोण मारी; गायो जिनराज! आजे हरख अधिकथी, परम आनंदकारी, पायो तुम दर्शनासे भवभय भ्रमणा नाथ! सर्वे अमारी. भवोभव तुम चरणोनी सेवा, हुं तो मांगुं छं देवाधिदेवा; सामुं जुओने सेवक जाणी, एवी उदयरत्ननी वाणी. जिनेर्भक्ति जिनेर्भक्ति, जिनेर्भक्ति दिने दिने; सदा मेऽस्तु सदा मेऽस्तु सदा मेऽस्तु भवे भवे. उपसर्गाः क्षयं यान्ति, छिद्यन्ते विघ्नवल्लयः मनः प्रसन्नतामेति, पूज्यमाने जिनेश्वरे.. सर्व मंगल मांगल्यम्, सर्व कल्याण कारणम्; प्रधानं सर्व धर्माणां, जैनं जयति शासनम्. २४ १ २ ३ ४ ५
SR No.008902
Book TitleJinandji Bhav Jal Par Utar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaratnasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2007
Total Pages292
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size7 MB
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