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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org युक्त्या जैनं समय- मुदधिं कीर्तयाम्यस्मि कामं, Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बोधागाधं सुपद-पदवी-नीर-पूराभिरामम् ३ श्रीमद्वीर-क्रमाम्भोरुह - रसिक - मना राजहंसीव रम्या, सिद्धा सिद्धा विरुद्धा विशदगुण - लसद्-भक्त हृत्पद्म-रुद्धा; या धत्ते स्वीयकण्ठे घन- सुरभिरसां पुष्पमालां विशाला-, मामूलालोल-धूली-बहुल-परिमला-लीढ-लोलालिमाला. ४ स्नातस्या पादपूर्ति महावीर स्वामी स्तुति:. स्फूर्जद्भक्ति-नतेन्द्र-शीर्ष विलसत्-कोटीर-रत्नावली, रंगत्कान्ति-करम्बिताद्-भुत-नख-श्रेणी - समुज्जृम्भितम्; सिद्धार्थांग-रुहस्य कीर्तित-गुणस्यांघ्रि-द्वयं पातु वः, स्नातस्या-प्रतिमस्य मेरु-शिखरे शच्या विभोः शैशवे. १ श्रेयः शर्मकृते भवन्तु भवतां सर्वेपि तीर्थाधिपा, येषां जन्ममहः कृतः सुरगिरौ वृन्दारकैः सादरै; पौलोमी-स्तन-गर्व-खण्डन- परैः कुम्भैः सुवर्णोद्भवै-, र्हंसां-साहत-पद्मरेणु-कपिश-क्षीरार्ण-वाम्भो-भृतैः .. २ सेवे सिद्धान्त-मुद्यत्-सकल-मुनिजन-प्रार्थिता-र्मत्य-रत्नं, For Private And Personal Use Only गर्जद्वा-चाटवादि-द्विरद-घनघटा-दर्प-कण्ठी-रवाभम्; मिथ्या-धर्मान्धकारे स्फुट - विकट-करादित्य-मल्पप्रभं नो, अर्हद्वक्त्र-प्रसूतं गणधर - रचितं द्वादशांगं विशालम् . ३ २२४
SR No.008902
Book TitleJinandji Bhav Jal Par Utar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaratnasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2007
Total Pages292
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size7 MB
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