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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निर्भय निःसंगी बळियो थै, कार्य करे नहि हारेजी, तीर्थंकर सर्वे उपदेशे, प्रभुपणुं घट धारेजी. नाम रूपमां निर्मोही थै, प्रभुभुक्तो शिव वरताजी, सर्व कार्य करता अधिकारे, भयथी न पाछा पडताजी; मर्द बनीने दर्द सहे सहु, धर्म कर्म नहीं मूकेजी, ज्ञान कर्म ने भक्तिउपासन, योगने अंतर धारेजी. मुक्ति भवमां समभावी थै, धर्म कर्म नहीं मूकेजी, जीवनमुक्त बने त्होये, पण, कर्तव्यो नहीं चूकेजी; देवगुरूने करीने स्वार्पण, जैनो जिन थै जाताजी, शासनदेवी सेवा सारे, धर्मनी सेवा च्हाताजी. For Private And Personal Use Only २ ३ ४ नेमिनाथ स्तुति कमल-वल्लपनं तव राजते, जिनपते ! भुवनेश! शिवात्मज !; मुकुरवद् विमलं क्षणदा-वशाद् हृदय-नायकवत् सुमनोहरम्. १ सकल-पारगताः प्रभवन्तु मे, शिव-सुखाय कुकर्म-विदारकाः; रुचिर-मंगल-वल्लिवने घना, दश-तुरंगम - गौर- यशोधराः . ... २ मदन-मान-जरा-1 - निधनोज्झिता, जिनपते! तव वाग - मृतोपमा; भवभृतां भवताच्छिव-शर्मणे, भव-पयोधि पतज्जन- तारका... ३ जिनपपाद-पयोरुह-हंसिका, दिशतु शासन - निर्जर-कामिनी; सकलदेह भृताममलं सुखं, मुख - विभाभर - निर्जित-भाधिपा... ४ २१७
SR No.008902
Book TitleJinandji Bhav Jal Par Utar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaratnasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2007
Total Pages292
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size7 MB
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