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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir द्रव्य ने भाव बे भेदथीरे लोल, यात्रा करंतां बेशरे; बुद्धिसागर आत्ममां रे लोल, सहजानंद हमेशरे. .... आबु० ५ सम्मेतशिखर स्तवन सम्मेतगिरि अति शोभतारे लोल, सिद्धो तीर्थंकर वीसरे; द्रव्यभाव यात्रा करेरे लोल, विघटे राग ने रीसरे. सम्मेत० १ जिनमंदिर प्रभु वंदतारे लोल, आनंद प्रगटे अपाररे; यात्रा करे अनुभव थतोरे लोल, नासे कर्म विकाररे. ..... सम्मेत० २ भाव सम्मेत शुद्धातमारे लोल, दर्शन स्पर्शन थायरे; अनुभवज्ञाने ध्यावतारे लोल, पोते प्रभुपद पाय रे. . सम्मेत० ३ साधनयोगे साध्य सिद्धि छे रे लोल, मनशुद्धिना उपाय रे; जे जे द्रव्यथी करवा घटेरे लोल, करवा ते हित लायरे............. सम्मेत० ४ द्रव्य ने भावथी जिनप्रतिमा भलीरे लोल, द्रव्य ने भावथी सेवरे; बुद्धिसागर निज आतमा रे लोल, आविर्भाव देवरे. सम्मेत० ५ गिरनार नेमिजिन स्तवन गिरनार पर्वत नेमि वंदतारे, ध्यावतां शिवसुख थायरे; दीक्षा केवल ने मुक्ति नेमिनीजी, कल्याण भूमि सुहायरे....... ..गिरनार०१ १९४ For Private And Personal Use Only
SR No.008902
Book TitleJinandji Bhav Jal Par Utar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaratnasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2007
Total Pages292
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size7 MB
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