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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री सीमंधरस्वामी स्तवन तारी मूरतिए मन मोह्यु रे, मनना मोहनीया; तारी सूरतिए जग सोडुं रे, जगना जीवनीया. तुम जोतां सवि दुरमति विसरी, दिन रातडी नवि जाणी; प्रभु गुण गण सांकलशुं बांध्यु, चंचल चित्तडु ताणी रे.मनना.१ पहेलां तो एक केवल हरखे, हेजालु थइ हलियो; गुण जाणीने रूपे मिलियो, अभ्यंतर जइ भलियो रे..मनना.२ वीतराग इम जस निसुणीने, रागी राग धरेह; आप अरूपी राग निमित्ते, दास अरूप करेह........... मनना.३ श्री सीमंधर तुं जगबन्धु, सुंदर ताहरी वाणी; मंदर भूधर अधिक धीरज धर, वन्दे ते धन्य प्राणी रे. मनना.४ श्री श्रेयांस नरेसर नंदन, चंदन शीतल वाणी; सत्यकी माता वृषभ लंछन प्रभु, ज्ञान विमल गुणखाणी रे. .मनना.५ ___ श्री सीमंधरस्वामी स्तवन श्री सीमंधर जगधणी, राय श्रेयांसकुमार रे, माता सत्यकी नंदनो रे, रुक्ष्मणीनो भरथार रे......... श्री० १ सुखकारक स्वामी सुणो रे, मुज मननी आ वातरे, जगते जोतां कोई नवि जडे, स्वामी तुम्हारी जोडरे. . श्री० २ १६६ For Private And Personal Use Only
SR No.008902
Book TitleJinandji Bhav Jal Par Utar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaratnasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2007
Total Pages292
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size7 MB
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