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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org श्री नेमिनाथ स्तवन निरख्यो नेमि जिणंदने अरिहंताजी, राजीमती कर्यो त्याग भगवंताजी, ब्रह्मचारी संयम ग्रह्यो अरि, अनुक्रमे थया वीतराग भग.... १ चामर चक्र सिंहासन अरि, पादपीठ संयुक्त भग.; छत्र चाले आकाशमां अरि, देव दुंदुभि वर उत्त भग. .२ सहस जोयण ध्वज सोहतो अरि, प्रभु आगल चालंत भग.; कनक कमल नव उपरे अरि, विचरे पाय ठवंत भग......... ३ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चार मुखे दीये देशना अरि, त्रण गढ झाक - झमाल भग.; केश रोम श्मश्रु नखा अरि., वाधे नहीं कोइ काल भग. .... ४ कांटा पण ऊंधा होय अरि, पंच विषय अनुकूल भग.; षट् ऋतु समकाले फले अरि., वायु नहिं प्रतिकूल भग. पाणी सुगंध सुर कुसुमनी अरि., वृष्टि होय सुरसाल भग.; पंखी दीये सुप्रदक्षिणा अरि., वृक्ष नमे असराल भग...........६ जिन उत्तम पद पद्मनी अरि., सेव करे सुर कोडी भग.; चार निकायना जघन्यथी अरि., चैत्य वृक्ष तेम जोडी भग. ७ ....५ १३३ For Private And Personal Use Only
SR No.008902
Book TitleJinandji Bhav Jal Par Utar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaratnasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2007
Total Pages292
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size7 MB
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