SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 127
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ..... शरण कर्तुं में तारुं स्वामी, हाथ ग्रहीने तार. . जगतमां० ४ नाम स्थापना द्रव्य भावथी, ध्यातां शिवसुख थाय; जगतमां० बुद्धिसागर बे कर जोडी, वन्दे त्रिभुवन राय ..... जगतमां० ५ श्री कुंथुनाथ स्तवन Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुंथुजिनेश्वर जग जयकारी, चोत्रीस अतिशय धारीरे; पांत्रीस वाणी गुणथी शोभे, समवसरण सुखकारीरे . . कुंथु० १ वस्तुधर्म स्याद्वाद प्ररूपे, केवलज्ञानथी जाणीरे, धर्म ग्रही पाळी शिव लेवे, जगमांही बहु प्राणीरे. सप्तभंगीने सातनयोथी, षडद्रव्योने जणावेरे; उपादेय चेतनना धर्मो, बोधी शिव परखावे रे. शुद्ध आत्मस्वरूप बतावी, मिथ्या भ्रमणा हठावेरे; अस्तिनास्तिमयधर्म अनन्ता, द्रव्यमां भावेरे. चार निक्षेपे चार प्रमाणे, वस्तुस्वरूपने दाखेरे; द्रव्य क्षेत्र ने काल भावथी, वस्तुस्वरूपने भाखेरे....... आनन्दकारी जगहितकारी, गुणपर्यायाधारीरे; उत्पत्ति-व्यय-ध्रुवतामयी प्रभु, शाश्वतपद सुखकारीरे. कुंथु० ६ जिनस्वरूप थई जिनवर सेवी, लहिए अनुभवमेवारे; बुद्धिसागर ज्ञानदिवाकर, सहजयोग पद सेवारे. . कुंथु० ५ ११७ For Private And Personal Use Only . कुंथु० २ . कुंथु० ३ . कुंथु० ४ . कुंथु० ७ .....
SR No.008902
Book TitleJinandji Bhav Jal Par Utar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmaratnasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2007
Total Pages292
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy