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________________ ૨૨૪ નવમું પ્રકરણ દ્વાદશાંગ પરિચય શ્રી નંદી સૂત્ર OGOGOGOG (१) श्री आयारांगसूत्र : १ से किं तं आयारे ? आयारे णं समणाणं णिग्गंथाणं आयार-गोयरविणय-वेणइय-सिक्खा भासा - अभासा चरण-करण - जाया - माया- वित्तीओ आघविज्जंति । से समासओ पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा - ( १ ) णाणायारे (२) दंसणायारे (३) चरित्तायारे ( ४ ) तवायारे (५) वीरियायारे । I आयारे णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुओगदारा, संखिज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखिज्जाओ णिज्जुत्तीओ, संखिज्जाओ पडिवत्तीओ । से णं अंगट्ठयाए पढमे अंगे, दो सुयक्खंधा, पणवीसं अज्झयणा, पंचासीइ उद्देसणकाला, पंचासीइ समुद्देसणकाला, अट्ठारस्स पयसहस्साणि पयग्गेणं, संखिजा अक्खरा, अनंता गमा, अनंता पज्जवा,' परित्ता तसा, अ थावरा । सासय-कड-णिबद्ध - णिकाइआ, जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जंति, पण्णविज्जंति, परूविज्जंति दंसिज्जंति, णिदंसिज्जंति, उवदंसिज्जंति । से एवं आया, एवं णाया, एवं विण्णाया, एणं चरण-करण - परूवणा आघविज्जइ । से त्तं आयारे । AGEार्थं :- आयारेणं = आयारांग सूत्रमा, आयार गोयर = आयार, गोयर, संयभायार, भिक्षा ग्रहए|विधि, विजय = ज्ञानाहि विनय, वेणइय = विनयइण, अर्भक्ष्य खाहि, सिक्खा = ग्रहए शिक्षा खने आसेवन शिक्षा तथा विनय शिक्षा, भासा सत्य अने व्यवहार भाषा, अभासा= असत्य अने मिश्रभाषा, चरण = महाव्रत आहि, करण = पिंडविशुद्धि सहि, जाया = यात्रा, माया = मात्रा, परिमित आहार ग्रहा, वित्तीओ = विविध प्रझरना अभिग्रह त्याहि विषय, आघविज्जंति टुडेस छे, से = ते खायार, समासओ संक्षेपथी, पंचविहे = पांथ प्रडारे, पण्णत्ते - डेस छे, तंजहा = - ते खा प्रभाो छे, णाणायारे = ज्ञानायार, दंसणायारे = हर्शनायार, चरित्तायारे = यारित्रायार,
SR No.008781
Book TitleAgam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrankunvarbai Mahasati, Artibai Mahasati, Subodhikabai Mahasati
PublisherGuru Pran Prakashan Mumbai
Publication Year2009
Total Pages380
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_nandisutra
File Size12 MB
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