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________________ | १८ । શ્રી વિવાઈસૂત્ર पुरिसुत्तमे, पुरिससीहे, पुरिसवरपुंडरीए, पुरिसवरगंधहत्थी, लोगुत्तमे लोगणाहे लोगहिए लोगप्पइवे लोगपज्जोयगरे अभयदए, चक्खुदए, मग्गदए, सरणदए, जीवदए, बोहिदए धम्मदए धम्मदेसए धम्मणायए धम्मसारही धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टी, दीवो, ताणं, सरणं, गई, पइट्ठा, अप्पडिहयवरणाणदसणधरे, वियदृच्छउमे, जिणे, जावए, तिण्णे, तारए, बुद्धे, बोहए, मुत्ते, मोयए, सव्वण्णू, सव्वदरिसी, सिव-मयल-मरुय- मणंत-मक्खय-मव्वाबाहमपुणरावित्तियं सिद्धिगइ-णामधेयं ठाणं संपाविउकामे, अरहा, जिणे, केवली, सत्तहत्थुस्सेहे, समचउरंस-संठाण-संठिए, वज्जरिसह-णाराय-संघयणे, अणुलोमवाउवेगे कंकग्गहणी कवोय-परिणामे, सउणि-पोस पिटुंतरोरूपरिणए, पउमुप्पल-गंधसरिसणिस्सास-सुरभि-वयणे छवी, णिरायंक-उत्तम-पसत्थ-अइसेय-णिरुवम-पले, जल्ल-मल्लकलंक-सेयरय-दोस-वज्जिय-सरी-णिरुवलेवे, छाया-उज्जोइयंगमंगे, घणणिचिय-सुबद्ध लक्खणुण्णय-कूडागार-णिभ-पिंडियग्ग-सिरए, सामलिबोंड- घणणिचिय- च्छोडियमिउविसय- पसत्थ-सुहुमलक्खण-सुगंधसुंदरे भुयमोयग-भिंग-णील-कज्जल- पहट्ठभमरगण-णिद्ध-णिकुरुंब णिचिय-कुंचिय-पयाहिणावक्त मुद्धसिरए, दालिमपुप्फ-प्पगासतवणिज्ज सरिस-णिम्मल-सुणिद्ध केसंत केसभूमी, छत्तागारुत्तिमंगदेसेणिव्वण-सम-लट्ठ मट्ठ-चंदद्ध समणिडाले, उडुवइ पडिपुण्णसोमवयणे, अल्लीण पमाणजुत्तसवणे, सुस्सवणे, पीणमंसल कवोलदेसभाए, आणामिय- चाव-रुइल-किण्हब्भराइ-तणु-कसिण-णिद्ध-भमुहे, अवदालिय- पुंडरीय-णयणे, कोयासिय- धवल-पत्तलच्छे, गरुलायय- उज्जु-तुंग-णासे, उवचिय- सिलप्पवाल- बिंबफल-सण्णिभाहरोटे, पंडुर-ससिसयल-विमल-णिम्मलसंख-गोक्खीरफेण-कुंद-दगरय-मुणालिया-धवल-दंतसेढी, अखंडदंते, अप्फुडियदंते, अविरलदंते, सुणिद्धदंते, सुजायदंते, एगदंतसेढी विव अणेगदंते, हुयवह-णित-धोयतत्ततवणिज्जरत्त-तल-तालु-जीहे, अवट्ठिय-सुविभत्तचित्तमंसू, मंसल-संठिय-पसत्थ सदूल-विउल-हणुए, चउरंगुल-सुप्पमाण-कंबुवस्सरिसग्गीवे, वरमहिस-वराह-सीह-सदूल-उसभ-णागवर-पडिपुण्ण-विउल-क्खंधे, जुग- सण्णिभपीण-रइय-पीवर-पउट्ठ-सुसंठिय-सुसिलिट्ठ-विसिठ्ठ-घण-थिर-सुबद्ध-संधि-पुरवर- फलिहवट्टिय-भुए, भुयगीसर-विउलभोग- आयाण-पलिउच्छूढ-दीहबाहू, रक्त तलोवइय- मउयमंसल-सुजाय- लक्खणपसत्य अच्छिद्द-जाल-पाणी, पीवर-कोमल-वरंगुली, आयंब तंब तलिण-सुइरुइल-णिद्ध-णखे, चंद-पाणिलेहे, सूर-पाणिलेहे, संख-पाणिलेहे, चक्कपाणिलेहे, दिसासोत्थिय-पाणिलेहे, चंद-सूर-संख-चक्क-दिसासोत्थिय-पाणिलेहे, कणगसिलाय-लुज्जल-पसत्थ समतल-उवचिय-विच्छिण्ण-पिहुल-वच्छे, सिरि-वच्छंक्किय-वच्छे, अकरंडुय-कणग-रुयय-णिम्मल-सुजाय-णिरुवहय-देहधारी, अट्ठसहस्स-पडिपुण्ण- वरपुरिस लक्खणधरे, सण्णयपासे, संगयपासे, सुंदरपासे, सुजायपासे, मियमाइय पीण रइयपासे,
SR No.008769
Book TitleAgam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalpanabai Mahasati, Artibai Mahasati, Subodhikabai Mahasati
PublisherGuru Pran Prakashan Mumbai
Publication Year2009
Total Pages237
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_aupapatik
File Size10 MB
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