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________________ | ३४० श्री भगवती सूत्र-3 एगे धूमप्पभाए होज्जा; जावअहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥३॥ अहवा एगे रयणप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा; अहवा एगे रयणप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥२॥ अहवा एगे रयणप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥१॥ ____ अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा; अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा; जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥४॥ अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा, जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥३॥ अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥२॥ अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥१॥ __अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा; अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए होज्जा; अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥३॥ अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा; अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥२॥अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥१॥ अहवा एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा; अहवा एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥२॥ अहवा एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥१॥ अहवा एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥१॥ भावार्थ :- [त्रिसंयोग -३५] (१) मे रत्नप्रभामां, शराप्रमामा, मेवाप्रमामा (१-२-3) (२) रत्नप्रभामां, में शराप्रमामा, प्रभाभा (१-२-४) (3) मे रत्नप्रभामां, 3 शराप्रमाभां, धूमप्रमामा (१-२-५) (४) मे २त्नप्रभामां, मेशप्रमामा, तभ:प्रमामा (१-२-5) (५) रत्नप्रमाभां, मे शराप्रमामा, मे तमस्तमाप्रमामा (१-२-७) () रत्नप्रभाभां, वायुप्रभामां, प्रत्मामा (१-3-४)
SR No.008760
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArtibai Mahasati, Subodhikabai Mahasati
PublisherGuru Pran Prakashan Mumbai
Publication Year2009
Total Pages875
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size23 MB
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