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________________ | १३४ श्री.मावती सूत्र-3 दुविहं दुविहेणं पडिक्कममाणे- ण करेइ, ण कारवेइ मणसा वयसा, अहवा ण करेइ, ण कारवेइ मणसा कायसा; अहवा ण करेइ, ण कारवेइ वयसा कायसा; अहवा ण करेइ, करेत णाणुजाणइ मणसा वयसा; अहवा ण करेइ, करत णाणुजाणइ मणसा कायसा; अहवा ण करेइ, करेंतं णाणुजाणइ वयसा कायसा; अहवा ण कारवेइ, करेत णाणुजाणइ मणसा वयसा; अहवा ण कारवेइ, करेत णाणुजाणइ मणसा कायसा; अहवा ण कारवेइ, करेत णाणुजाणइ वयसा कायसा । दुविहं एगविहेणं पडिक्कममाणे- ण करेइ ण कारवेइ मणसा; अहवा ण करेइ ण कारवेइ वयसा; अहवा ण करेइ, ण कारवेइ कायसा; अहवा ण करेइ, करेंतं णाणुजाणइ मणसा; अहवा ण करेइ, करेंतं णाणुजाणइ वयसा; अहवा ण करेइ, करेंतं णाणुजाणइ कायसा; अहवा ण कारवेइ, करेंतं णाणुजाणइ मणसा; अहवा ण कारवेइ करेंत णाणुजाणइ वयसा; अहवा ण कारवेइ, करेंतं णाणुजाणइ कायसा । एगविहं तिविहेणं पडिक्कममाणे- ण करेइ मणसा वयसा कायसा; अहवा ण कारवेइ मणसा वयसा कायसा; अहवा करेंत णाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा । एगविहं दुविहेणं पडिक्कममाणे- ण करेइ मणसा वयसा; अहवा ण करेइ मणसा कायसा; अहवा ण करेइ वयसा कायसा; अहवा ण कारवेइ मणसा वयसा; अहवा ण कारवेइ मणसा कायसा; अहवा ण कारवेइ वयसा कायसा; अहवा करत णाणुजाणइ मणसा वयसा; अहवा करेंत णाणुजाणइ मणसा कायसा; अहवा करेंतं णाणुजाणइ वयसा कायसा । एगविहं एगविहेणं पडिक्कममाणे- ण करेइ मणसा, अहवा ण करेइ वयसा अहवा ण करेइ कायसा; अहवा ण कारवेइ मणसा; अहवा ण कारवेइ वयसा; अहवा ण कारवेइ कायसा; अहवा करेंतं णाणुजाणइ मणसा; अहवा करेंत णाणुजाणइ वयसा; अहवा करत णाणुजाणइ कायसा । ભાવાર્થ:- પ્રશ્ન- હે ભગવન્! અતીતકાલીન પ્રાણાતિપાત આદિનું પ્રતિક્રમણ કરતા શ્રમણોપાસક શું (१) विविध-त्रिविध (३९ ४२५, ३ योगथी) (२) त्रिविध-विविध (३९ ४२५, जे योगथी) (3) त्रिविध-विध (३९४२९-ॐ योगथी) (४)द्विविध-त्रिविध (४२५, त्रयोगथी) (५) विविध-विविध (४२५-योगथी) (G) विविध- विध (४२५, योगथी) (७) विध-त्रिविध ( ४२९, ३९ योगथी) (८) विध-विविध (मे २९, योगथी) अथवा (4) विविध (ोई
SR No.008760
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArtibai Mahasati, Subodhikabai Mahasati
PublisherGuru Pran Prakashan Mumbai
Publication Year2009
Total Pages875
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size23 MB
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